28 मार्च को भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹22,919 करोड़ की पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना को मंजूरी दी, जो गैर-सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों के विनिर्माण को बढ़ावा देगी। यह योजना दूरसंचार, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, चिकित्सा उपकरण, और बिजली क्षेत्र जैसे कई क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने का लक्ष्य रखती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना से 91,600 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे और ₹59,350 करोड़ का निवेश आकर्षित होगा। यह सरकार की पहली योजना है जो निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक घटकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
निष्क्रिय, यानी गैर-सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे बिजली को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होते हैं, हालांकि ये खुद बिजली का उत्पादन या उसमें वृद्धि नहीं करते। वैष्णव ने कहा कि इस योजना का कुल पैकेज ₹22,919 करोड़ है और यह छह वर्षों में पूरा होगा।
योजना के प्रमुख लाभ
इस योजना से ₹4.56 लाख करोड़ का उत्पादन होने का अनुमान है। भारत में 2022 में गैर-सेमीकंडक्टर कलपुर्जों का उत्पादन लगभग 13 अरब डॉलर था, जो 2026 तक 20.7 अरब डॉलर और 2030 तक 37 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
संभावित चुनौतियाँ और सरकार का समर्थन
इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योग संघ (एल्सीना) का कहना है कि बिना सरकारी समर्थन के 2030 तक इस क्षेत्र में ₹21 लाख करोड़ (248 अरब डॉलर) का घाटा हो सकता है, जिसे आयात से पूरा करना पड़ेगा। एल्सीना ने सरकार से ₹72,500 करोड़ के सहायता पैकेज की मांग की है, ताकि अगले छह वर्षों में इस घाटे को कम किया जा सके।