11 मार्च 2024 को स्विस एयर गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी IQ एयर ने अपनी वायु गुणवत्ता रिपोर्ट जारी की, जिसमें यह बताया गया कि भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में 5वें स्थान पर है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं, और मेघालय का बर्नीहाट सूची में पहले स्थान पर है। दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है।
भारत में प्रदूषण में सुधार
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत 2023 में तीसरे स्थान से गिरकर 2024 में 5वें स्थान पर आ गया है, जो प्रदूषण स्तर में कुछ सुधार को दर्शाता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में पीएम 2.5 स्तर में 7% की गिरावट देखी गई है। 2024 में पीएम 2.5 स्तर औसतन 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जबकि 2023 में यह 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। हालांकि, दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से 6 भारत में ही हैं, और दिल्ली का पीएम 2.5 स्तर 91.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रहा।
ओशिनिया: दुनिया का सबसे स्वच्छ क्षेत्र
ओशिनिया को 2024 में दुनिया का सबसे स्वच्छ क्षेत्र बताया गया है। इसके 57% शहर WHO के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को पूरा करते हैं। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य देशों में वायु गुणवत्ता अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर है।
PM2.5 स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत के कई शहरों में पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए मानकों से 10 गुना ज्यादा है। इस खराब वायु गुणवत्ता के कारण भारत में लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, और औसत जीवनकाल करीब 5.2 साल घट गया है। 2009 से 2019 तक भारत में हर साल लगभग 15 लाख लोगों की मृत्यु पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण हुई।
PM 2.5 क्या है?
PM 2.5 हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोन से छोटे सूक्ष्म प्रदूषण कणों को कहते हैं। ये कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, दिल की बीमारियां और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है। पीएम 2.5 प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ, उद्योगों का उत्सर्जन और लकड़ी या फसलों का जलना है।