प्रयागराज के निरंजनी अखाड़े के नागा साधुओं ने महाकुंभ 2025 में अमृत स्नान के महत्व को बताया। संतों के अनुसार, यह स्नान एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर पुण्य देता है।
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के दिन हुआ। इस अवसर पर प्रयागराज में लाखों साधु-संतों ने अमृत स्नान किया। विभिन्न अखाड़ों ने हाथी, घोड़े और ऊंट के साथ भव्य जुलूस निकाले और संत, सन्यासी और नागा साधु संगम तट पर पहुंचे और स्नान किया।
अमृत स्नान का महत्व
निरंजनी अखाड़े के नागा साधु सिद्धपुरी ने भगवान को याद करते हुए कहा, "सुबह 4 बजे उठकर स्नान करके ध्यान लगाना चाहिए। मूर्ति पूजा करने या न करने दोनों परिस्थितियों में ईश्वर को याद करना चाहिए।" उन्होंने यह भी बताया कि देवता और राक्षसों के बीच लड़ाई में जहां-जहां अमृत की बूंद गिरी, वहां महाकुंभ का मेला लगता है। हर छह साल बाद अर्धकुंभ और बारह साल बाद महाकुंभ होता है, जहां शाही स्नान से कई जन्मों का पाप समाप्त हो जाता है।"
साध्वी सोनिया नाथ का अनुभव
साध्वी सोनिया नाथ ने कहा, "मैं इस अखाड़े में नई हूं, लेकिन भगवा वस्त्र पहनकर बहुत अच्छा लग रहा है। हम सनातन धर्म की रक्षा में हमेशा आगे रहते हैं। गुरु का आदेश हमारे लिए परम है।" उन्होंने यह भी कहा कि गुरु और शिष्य के रिश्ते एक परिवार की तरह होते हैं, जिसमें कभी-कभी गुरु हमें सुधारने के लिए डांटते हैं।
अश्वमेध यज्ञ और अमृत स्नान
अग्नि अखाड़े के महंत आदित्तानंद शास्त्री ने बताया, "1,000 अश्वमेध यज्ञ करने से जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य मकर संक्रांति और महाकुंभ के दिन अमृत स्नान करने से प्राप्त होता है।" उन्होंने कहा कि अमृत स्नान के बाद हमें देवताओं का ध्यान लगाना चाहिए और ज्ञान पर चर्चा करनी चाहिए।
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