सरकार विदेश में भारतीयों को रोजगार दिलाएगी


सरकार विदेश में भारतीयों को रोजगार दिलाएगी

भारत अब केवल वस्तुओं का नहीं, बल्कि मानव संसाधन का भी सबसे बड़ा निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की युवा आबादी, जो स्थानीय नौकरी बाजार में पूरी तरह समाहित नहीं हो पा रही, विकसित देशों की श्रमिक कमी को पूरा करने के लिए तैयार की जा रही है।

यूरोप, खाड़ी और एशिया के कई देशों में आबादी घट रही है और श्रमिकों की भारी कमी है। भारत के पास लाखों कुशल और अर्द्ध-कुशल युवा हैं, जो वैश्विक कार्यबल को नई ऊर्जा दे सकते हैं। इसी अंतर को अवसर में बदलने के लिए भारत सरकार अब बड़े पैमाने पर विदेशों में रोजगार दिलाने की दिशा में कदम उठा रही है।

विदेश मंत्रालय ने 9 अक्टूबर को ओवरसीज मोबिलिटी बिल का मसौदा पेश किया, जो 1983 के पुराने इमिग्रेशन एक्ट की जगह लेगा। यह बिल भारतीय नागरिकों को वैश्विक नौकरी बाजार से जोड़ने के साथ उनके सुरक्षित प्रस्थान, वापसी और पुनर्वास को सुनिश्चित करेगा। पिछले छह वर्षों में भारत ने जापान, जर्मनी, फिनलैंड, ताइवान और खाड़ी देशों समेत 20 से अधिक देशों के साथ श्रम समझौते किए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत तेजी से एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहां वह केवल वैश्विक बाजार का उपभोक्ता नहीं बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था का श्रमिक प्रदाता बनकर उभर रहा है। यदि श्रम निर्यात मॉडल सफल होता है, तो यह भारत की आर्थिक स्थिति को नई ऊंचाई देगा और करोड़ों युवाओं का भविष्य बदल सकता है।

देशों के सामने चुनौतियां

सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मेजबान देश यह भरोसा कैसे करें कि भारतीय श्रमिक स्थायी रूप से नहीं बसेंगे। कई देशों में यह राजनीतिक जोखिम माना जाता है कि विदेशी नागरिक स्थानीय नौकरियों पर स्थायी रूप से कब्जा कर सकते हैं। अस्थायी प्रवासन के बाद "वापसी और पुनर्वास" मॉडल पूरी तरह परखा नहीं गया है, और प्रवासी बेहतर जीवन और आमदनी के कारण वहीं बसने की कोशिश करते हैं।

वैश्विक श्रम संकट

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार, वर्ष 2030 तक दुनिया में पांच करोड़ श्रमिकों की कमी होगी। यह संख्या ब्रिटेन की कुल कामकाजी आबादी से भी अधिक है। "ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया फाउंडेशन" का मानना है कि भारत को केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए कार्यबल तैयार करना चाहिए। फाउंडेशन के सीईओ अर्नब भट्टाचार्य का अनुमान है कि भारत अपने वर्तमान सात लाख वार्षिक श्रमिक निर्यात को साल 2030 तक बढ़ाकर 15 लाख कर सकता है।

राजनीतिक चुनौतियां और वैश्विक माहौल

अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों में प्रवासन को लेकर राजनीतिक विरोध बढ़ रहा है। अमेरिका में H-1B वीजा पर एक लाख डालर शुल्क लगाया गया है और निर्वासन नीति कड़ी की गई है। यूरोप में भी प्रवासन सख्त हो रहा है। इसके बावजूद भारत के साथ समझौते हो रहे हैं, क्योंकि इन देशों के पास श्रम की कमी को पूरा करने का और कोई विकल्प नहीं है।




पत्रिका

...
Pratiyogita Nirdeshika January 2026
और देखे
...
Books for MPPSC Exam Preparation 2026 || विभिन्न परीक्षाओं हेतु उपयोगी 12 अंक मात्र 150 में
और देखे
...
Pratiyogita Nirdeshika December 2025
और देखे
...
Books for MPPSC Exam Preparation 2025 || विभिन्न परीक्षाओं हेतु उपयोगी 12 अंक मात्र 150 में
और देखे