सोने की कीमत बढ़ने से परिवारों की संपत्ति 3 लाख करोड़ रुपये हुई
सिस्टमैटिक्स रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल में सोने की कीमतों में आई तेजी से भारतीय परिवारों की कुल संपत्ति में कागज पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। हालांकि, इस संपत्ति वृद्धि का असर उपभोग (consumption) में बढ़ोतरी के रूप में देखने को नहीं मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उपभोग का असली चालक आय में वृद्धि है, जो पिछले कुछ वर्षों से सुस्त बनी हुई है, खासकर कोविड के बाद की K-शेप्ड रिकवरी के दौरान। इसी कारण, सोने की कीमतों में उछाल के बावजूद खपत में तेज सुधार नहीं दिखा।
सोने की कीमत बढ़ने से बना "वेल्थ इफेक्ट", पर खर्च नहीं बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की बढ़ती कीमतें मुख्य रूप से राष्ट्रीय संपत्ति प्रभाव (Wealth Effect) पैदा करती हैं। इसका अर्थ है कि जब सोने का मूल्य बढ़ता है तो परिवारों की नेट वर्थ तो अधिक दिखाई देती है, लेकिन खर्च तभी बढ़ता है जब वे अपना सोना बेचते हैं। आमतौर पर परिवार सोना केवल आर्थिक संकट के समय बेचते हैं, इसलिए यह संपत्ति वृद्धि उपभोग को बढ़ावा देने में प्रभावी नहीं होती।
इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू बचत में गिरावट, क्रेडिट ग्रोथ में कमी और आय पर दबाव जैसे कारक उपभोग में कमी ला रहे हैं।
सोने पर आधारित लोन में वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की ऊंची कीमतों के चलते गोल्ड लोन की मांग बढ़ गई है। सोने की होल्डिंग्स की गिरवी (कॉलेटरल) वैल्यू मजबूत हुई है, जिससे यह रिटेल लोन के लिए उपयोगी संपत्ति बन गई है। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, गोल्ड-बेस्ड लोन में वृद्धि उच्च उपभोग का नहीं बल्कि आर्थिक दबाव का संकेत है।
भारतीय परिवारों के पास कितना सोना है?
विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय परिवारों के पास लगभग 24,000 से 25,000 टन सोना है, जो दुनिया के कुल सोने का लगभग 11 प्रतिशत है।
2024 के बाद से सोने की कीमतों में आई तेजी के चलते घरेलू सोने की होल्डिंग्स का मूल्य बढ़कर लगभग 3.24 ट्रिलियन रुपये (3.24 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। यह भारत की जीडीपी के लगभग बराबर है, यानी घरेलू नेट वर्थ में लगभग 100% वृद्धि।