कोविड-19 से ज्यादा वैश्विक नुकसान कर सकती है गुटबाजी
डेवोस 2025: आर्थिक मंदी और कोविड-19 से ज्यादा वैश्विक नुकसान कर सकती है गुटबाजी, भारत पर भी होगा इसका असर
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 23 जनवरी को जारी ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस गुटबाजी से वैश्विक जीडीपी को 49.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर यह गुटबाजी चरम पर पहुंच गई तो भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों पर इसका सबसे ज्यादा बोझ पड़ सकता है। यह आर्थिक मंदी और कोविड-19 से हुए नुकसान से ज्यादा बड़ी और खतरनाक हो सकती है।
दुनिया में भौगोलिक और आर्थिक गुटबाजी से इतना बड़ा नुकसान हो सकता है, जितना 2008 में आई आर्थिक मंदी और फिर 2020 की कोविड-19 महामारी ने नहीं पहुंचाया होगा। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 23 जनवरी को जारी ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस गुटबाजी से वैश्विक जीडीपी को 49.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इतना ही नहीं रिपोर्ट में इस बात की भी चेतावनी दी गई है कि अगर यह गुटबाजी चरम पर पहुंच गई तो भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों पर इसका सबसे ज्यादा बोझ पड़ सकता है। 2025 की वार्षिक बैठक में यह रिपोर्ट जारी करते हुए फोरम ने कहा कि देशों द्वारा प्रतिबंधों, औद्योगिक नीतियों और अन्य आर्थिक उपायों के जरिये भू-राजनीतिक उद्देश्यों बेहतर करने के लिए वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक प्रणालियों का इस्तेमाल तेजी से किया जा रहा है।
गुटबाजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
नेविगेटिंग ग्लोबल फाइनेंसियल सिस्टम फ्रैग्मेंटेशन नामक इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देशों की नीतियों के परिणामस्वरूप होने वाली गुटबाजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 5.18 लाख करोड़ से लेकर 49.25 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो कि वैश्विक जीडीपी का पांच प्रतिशत तक हो सकता है।