यूरोपीय एजेंसी ने किया कृत्रिम सूर्यग्रहण का सफल परीक्षण


यूरोपीय एजेंसी ने किया कृत्रिम सूर्यग्रहण का सफल परीक्षण

प्रकृति को समझने की दिशा में इंसान अब कृत्रिम खगोलीय घटनाओं को भी साकार कर रहा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने पेरिस एयर शो में अपने अनोखे प्रयोग — कृत्रिम सूर्यग्रहण — की तस्वीरें साझा की हैं। यह परीक्षण प्रोबा-3 मिशन के अंतर्गत किया गया, जिसकी लागत लगभग 210 मिलियन डॉलर (21 करोड़ USD)

इस प्रयोग के लिए दो उपग्रहों को 2024 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। मार्च 2025 से, इन्हें कई बार सूर्य के सामने लाकर कृत्रिम सूर्यग्रहण बनाने का प्रयास किया गया। दोनों उपग्रह पृथ्वी से कई हजार किलोमीटर ऊपर, एक-दूसरे से लगभग 492 फीट की दूरी पर उड़ रहे हैं।

इनमें से एक उपग्रह चांद की भूमिका निभाता है और सूर्य को ब्लॉक करता है, जबकि दूसरा उपग्रह सूर्य के बाहरी वायुमंडल 'कोरोना' का अध्ययन करता है। अब तक 10 सफल सूर्यग्रहण बनाए जा चुके हैं, जिनमें सबसे लंबा ग्रहण 5 घंटे तक चला।

कैसे बनाया गया कृत्रिम सूर्यग्रहण

सटीकता के लिए दोनों उपग्रहों की उड़ान की स्थिति 1 मिलीमीटर से भी कम रखनी होती है। इसके लिए GPS, स्टार ट्रैकर, लेजर और रेडियो लिंक जैसी तकनीकों का प्रयोग किया गया। कोरोना, जो सूर्यग्रहण के दौरान मुकुट जैसा दिखाई देता है, अब लंबे समय तक अध्ययन के लिए उपलब्ध होगा।

क्या है भविष्य की योजना?

रॉयल ऑब्जर्वेटरी ऑफ बेल्जियम के वैज्ञानिक आंद्रे जूकोव ने कहा कि शुरुआती परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं। पूरे मिशन के दौरान लगभग 200 सूर्यग्रहण बनाए जाएंगे, यानी हर सप्ताह औसतन दो। इससे वैज्ञानिकों को 1000 घंटे से अधिक सूर्य के कोरोना का विश्लेषण करने का अवसर मिलेगा, जो कि सामान्य सूर्यग्रहण में केवल कुछ मिनटों तक ही संभव होता है।

इस पर वैज्ञानिक प्रयोग जुलाई से शुरू होंगे।




पत्रिका

...
Pratiyogita Nirdeshika January 2026
और देखे
...
Books for MPPSC Exam Preparation 2026 || विभिन्न परीक्षाओं हेतु उपयोगी 12 अंक मात्र 150 में
और देखे
...
Pratiyogita Nirdeshika December 2025
और देखे
...
Books for MPPSC Exam Preparation 2025 || विभिन्न परीक्षाओं हेतु उपयोगी 12 अंक मात्र 150 में
और देखे