एजुकेट गर्ल्स को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2025, एशिया का सर्वोच्च सम्मान पाने वाली पहली भारतीय संस्था बनी
लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली भारतीय संस्था 'एजुकेट गर्ल्स' को वर्ष 2025 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में शामिल किया गया है। यह प्रतिष्ठित एशियाई सम्मान पाने वाली भारत की पहली संस्था बन गई है।
संस्था ने बीते 18 वर्षों में देश के पिछड़े और दूरदराज इलाकों की 20 लाख से अधिक लड़कियों का स्कूलों में दाखिला करवाया है। संस्था का उद्देश्य लड़कियों को शिक्षा के माध्यम से सामाजिक रुढ़ियों को तोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करना है।
एजुकेट गर्ल्स की स्थापना 2007 में सफीना हुसैन द्वारा की गई थी, जो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की स्नातक हैं। उन्होंने भारत में महिला शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिए अमेरिका से लौटकर राजस्थान से इस मिशन की शुरुआत की थी।
संस्था की सीईओ गायत्री नायर लोबो ने कहा, "शिक्षा हर लड़की का मौलिक अधिकार है। यह पुरस्कार सामाजिक और व्यवस्थागत बाधाओं को तोड़ने व शिक्षा को सभी तक पहुंचाने के हमारे प्रयासों को सम्मान देता है।"
भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण
संस्थापक सफीना हुसैन ने कहा, "यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। अगले दशक में हम एक करोड़ से अधिक शिक्षार्थियों तक पहुंचने और इस पहल को भारत से बाहर भी विस्तार देने के लिए काम करेंगे। जब एक लड़की शिक्षित होती है, तो वह अपने परिवार, पीढ़ियों और पूरे राष्ट्र को शिक्षित करती है।"
अन्य विजेता
रेमन मैग्सेसे फाउंडेशन के अनुसार, यह पुरस्कार एशिया में निःस्वार्थ सेवा की भावना और परिवर्तनकारी नेतृत्व को सम्मानित करता है। अन्य दो विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली (पर्यावरण कार्यों के लिए) और फिलीपींस के फ्लेवियानो एंटोनियो एल. विलानुएवा (मानवीय कार्यों के लिए) को चुना गया है।
67वें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार समारोह का आयोजन 7 नवंबर को मनीला के मेट्रोपोलिटन थिएटर में किया जाएगा।



