कमर्शियल भाषण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं: सुप्रीम कोर्ट


कमर्शियल भाषण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं, सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों का मजाक बनाने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को फटकार लगाई और कहा कि व्यावसायिक भाषण अभिव्यक्ति की आजादी के तहत नहीं आते। कोर्ट ने इंडिया गॉट टैलेंट के दौरान रैना सहित पांच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लुएंसरों को माफी मांगने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि माफी की मात्रा अपमान से अधिक होनी चाहिए।

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यावसायिक भाषण अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार के तहत नहीं आता। दिव्यांग और आनुवंशिक विकारों से ग्रसित लोगों का उपहास करने पर रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सह, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर को बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया गया।

सोनाली ठक्कर (सोनाली आदित्य देसाई) को छोड़कर बाकी चार इन्फ्लुएंसर कोर्ट में पेश हुए। इन पर दिव्यांग, आनुवंशिक विकारों से ग्रसित और दृष्टिबाधित लोगों का मजाक उड़ाने का आरोप था।

इन्फ्लुएंसरों को दिए गए निर्देश

जस्टिस सूर्यकांत और जोयमाल्या बागची की पीठ ने निर्देश दिया कि वे अपने शो या पॉडकास्ट में दिव्यांगों और आनुवंशिक विकारों से ग्रसित लोगों का मजाक उड़ाने के लिए बिना शर्त माफी मांगे। जुर्माने की राशि बाद में तय की जाएगी। यह जुर्माना स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ितों के इलाज के लिए उपयोग किया जाएगा।

जस्टिस बागची की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने कहा कि विभिन्न समुदायों के बारे में मजाक करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। मीडिया अक्सर अपने अहंकार को पोषित करने के लिए ऐसा करता है। यह केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं, बल्कि व्यावसायिकता है। कोर्ट ने अमीश देवगन केस का हवाला देते हुए बताया कि व्यावसायिक और निषिद्ध भाषणों पर मौलिक अधिकार लागू नहीं होते।

सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनाने की मंजूरी

कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनने की अनुमति दी और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि इंटरनेट मीडिया सामग्री को रेगुलेट करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करें। उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रक्रिया में है, लेकिन गैग आर्डर की संभावना नहीं है।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मसौदा सार्वजनिक रूप से साझा किया जाएगा ताकि हितधारकों की राय ली जा सके। जस्टिस बागची ने कहा कि दिशा-निर्देशों से लोगों में संवेदनशीलता बढ़े और गलतियों के लिए जिम्मेदारी तय हो।

एनजीओ क्योर एसएमए फाउंडेशन की वकील ने कहा कि अब बेहतर समझ पैदा हुई है और इन्फ्लुएंसरों ने बिना शर्त माफी मांगी है।




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