सीजेआई गवई: रिटायरमेंट के तुरंत बाद पद लेना न्यायपालिका में भरोसा घटाता है
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण आर. गवई ने रिटायरमेंट के तुरंत बाद जजों द्वारा सरकारी पद स्वीकार करने या चुनाव लड़ने के खिलाफ सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि इस तरह की प्रथाएं ‘महत्वपूर्ण नैतिक चिंताएं’ पैदा करती हैं और न्यायपालिका की स्वतंत्रता में जनता के विश्वास को कम करने का जोखिम पैदा करती हैं।
सीजेआई गवई 3 जून को यूनाइटेड किंगडम के सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक स्वतंत्रता पर आयोजित एक उच्च स्तरीय राउंडटेबल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “किसी जज द्वारा राजनीतिक पद के लिए चुनाव लड़ने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर संदेह हो सकता है क्योंकि इसे हितों के टकराव या सरकार का पक्ष लेने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “इस तरह की व्यस्तताओं का समय और प्रकृति यह धारणा बना सकती है कि न्यायिक निर्णय भविष्य की सरकारी नियुक्तियों या राजनीतिक भागीदारी की संभावना से प्रभावित थे।”
कॉलेजियम प्रणाली के अस्तित्व पर चर्चा करते हुए सीजेआई गवई ने माना कि इसकी आलोचना की जा सकती है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि “कोई भी समाधान न्यायिक स्वतंत्रता की कीमत पर नहीं होना चाहिए।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “न्यायाधीशों को बाहरी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए।”