चीन और भारत मिलकर शक्ति संतुलन लाएंगे - वांग यी
ड्रैगन और हाथी मिलकर चलें तो दुनिया में कायम होगा शक्ति संतुलन: चीन
7 मार्च को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और भारत अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं। दोनों देशों के शीर्ष नेता संघर्ष के बजाय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार वांग यी ने कहा कि चीन हमेशा से मानता रहा है कि एक-दूसरे का सहयोगी बनना और ‘ड्रैगन और हाथी का नृत्य’ साथ करना दोनों पक्षों के लिए एकमात्र उचित विकल्प है। बता दें कि यहां ड्रैगन मतलब चीन है और गजराज मतलब भारत है। भारत की विशाल अर्थव्यवस्था पर स्लो ग्रोथ की वजह से हाथी कहा जाता है।
रिश्तों में सकारात्मक विकास
पिछले एक वर्ष के दौरान दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक विकास देखा गया है। अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वार्ता ने संबंध सुधारने की रणनीतिक दिशा तय की। वांग यी ने कहा कि इसके बाद दोनों देशों ने अपनी प्रतिबद्धताओं को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया, जिससे राजनयिक संपर्क और बहुआयामी सहयोग को मजबूती मिली।
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध का समाधान
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान को सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है। पिछले वर्ष के आखिर में दोनों देशों ने डेपसांग और डेमचोक से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए एक समझौता किया, जिससे चार साल से चला आ रहा गतिरोध समाप्त हो गया। 23 अक्टूबर 2024 को मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई एक और बैठक में उन्होंने मौजूदा संवाद तंत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया।
राजनयिक प्रयासों को जारी रखना
दिसंबर 2024 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वांग यी ने बीजिंग में 23वें विशेष प्रतिनिधि संवाद के लिए मुलाकात की। इसके ठीक एक महीने बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने चीन की यात्रा की और अपने समकक्ष सुन वेइडोंग के साथ ‘विदेश सचिव-वाइस मंत्री’ फ्रेमवर्क के तहत बातचीत की। वांग यी ने कहा कि सीमा विवाद को संपूर्ण भारत-चीन संबंधों की परिभाषा नहीं बनने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दो प्राचीन सभ्यताओं के रूप में हमारे पास पर्याप्त बुद्धिमत्ता और क्षमता है कि हम किसी न्यायसंगत और उचित समाधान तक पहुंचने से पहले सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखें।
वैश्विक दक्षिण के लिए सहयोग
वांग यी ने दोहराया कि चीन और भारत दुनिया के सबसे बड़े पड़ोसी और प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों को एक-दूसरे की सफलता का भागीदार बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक-दूसरे का समर्थन करने का हर कारण है, न कि एक-दूसरे को कमजोर करने या नुकसान पहुंचाने का। उन्होंने वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों देशों को बाहरी प्रभुत्ववादी ताकतों का विरोध करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के महत्वपूर्ण सदस्य होने के नाते हमारे ऊपर प्रभुत्ववाद और पॉवर पॉलिटिक्स का विरोध करने की जिम्मेदारी है। अगर चीन और भारत हाथ मिलाते हैं तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अधिक लोकतंत्र और एक मजबूत वैश्विक दक्षिण की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाएंगी।
भारत और चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ
वर्ष 2025 भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। वांग यी ने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर अतीत के अनुभवों को संकलित करने और चीन-भारत संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। हालांकि चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन हालिया राजनयिक पहलों से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश वास्तविकता-आधारित दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहे हैं। भारत और चीन संवाद को प्राथमिकता देने, तनाव को कम करने और एक मजबूत साझेदारी के रूप में सह-अस्तित्व की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं।