चंबल नदी: दुनिया के 80% वयस्क घड़ियालों का घर


चंबल नदी: दुनिया के 80% वयस्क घड़ियालों का घर

वन्य जीवन से समृद्ध मध्यप्रदेश अब बाघ, तेंदुआ और चीता प्रदेश के साथ-साथ घड़ियाल प्रदेश के रूप में भी पहचाना जा रहा है। देश में घड़ियालों की कुल संख्या 3044 है, जिनमें से 2456 घड़ियाल केवल मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। यानी देश के 80 प्रतिशत से अधिक घड़ियालों का घर मध्यप्रदेश है। यहां डॉल्फिन का भी रहवास है।

मध्यप्रदेश में घड़ियालों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं। उनके प्राकृतिक रहवास को सुरक्षित बनाया गया, अवैध शिकार पर रोक लगाई गई और अवैज्ञानिक मछली पकड़ने के तरीकों को बंद किया गया।

चंबल घड़ियाल अभयारण्य और संरक्षण प्रयास

चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया गया है। यह नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है। देवरी ईको सेंटर इस संरक्षण का मुख्य केंद्र है, जहाँ घड़ियाल के अंडे रखे जाते हैं और उनसे बच्चे निकलने के बाद तीन साल तक उनका पालन किया जाता है। हर वर्ष लगभग 200 घड़ियाल “ग्रो-एंड-रिलीज़” कार्यक्रम के तहत नदी में छोड़े जाते हैं।

स्वच्छ नदियों में रहना और नदियों को स्वच्छ रखना घड़ियालों की विशेषता है। इस कारण इन्हें कई राज्यों से माँग की जाती है। चंबल नदी के घड़ियाल देश की नदियों की शान बढ़ा रहे हैं और नदी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रहे हैं।

घड़ियालों की घटती और बढ़ती आबादी

वर्ष 1950 और 1960 के दशक में घड़ियालों की आबादी में 80% से अधिक की गिरावट आई थी। भारत सरकार ने 1970 के दशक में इसके संरक्षण की पहल की। बाद में प्रजनन और पुन: प्रवेश कार्यक्रम शुरू किए गए। वर्ष 1997 से 2006 के बीच गिरावट के बावजूद अब इनकी संख्या में फिर से वृद्धि हो रही है।

घड़ियाल की विशेषताएँ

घड़ियाल (Gavialis gangeticus), जिसे मछली खाने वाला मगरमच्छ भी कहा जाता है, अपनी लंबी संकरी थूथन और 110 तीखे दांतों की वजह से प्रसिद्ध है। वयस्क मादा 2.6 से 4.5 मीटर तक और नर 3 से 6 मीटर तक लंबे होते हैं। नर के थूथन के अंत में मिट्टी के घड़े जैसा उभार होता है, जिससे इसका नाम “घड़ियाल” पड़ा।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना के लिए 30 सितंबर 1978 को भारत सरकार की स्वीकृति मिली थी। यह अभयारण्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश — तीन राज्यों में फैला हुआ है। यहां घड़ियाल, मगरमच्छ, गंगेटिक डॉल्फिन, साफ पानी के कछुए और दुर्लभ पक्षी जैसे इंडियन स्कीमर पाए जाते हैं।

अब तक 290 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। गर्मियों में दुर्लभ पक्षी “इंडियन स्कीमर” यहाँ घोंसले बनाते हैं। देश में पाए जाने वाले कुल स्कीमर पक्षियों की लगभग 80% आबादी चंबल सेंचुरी में रहती है।

मुरैना के देवरी घड़ियाल सेंटर में “हेचिंग सेंटर” की शुरुआत की गई है, जहाँ घड़ियालों की संख्या बढ़ाने का कार्य चल रहा है। अभयारण्य के आसपास बसे 75 गाँवों के 1200 लोग “घड़ियाल मित्र” बनकर वन विभाग के साथ कार्य कर रहे हैं।

वर्ष 2017 में देवरी सेंटर से घड़ियाल पंजाब भेजे गए थे। 2018 में 25 घड़ियाल सतलुज नदी में और 2020 में 25 घड़ियाल व्यास नदी में छोड़े गए थे। चंबल नदी के घड़ियाल अब देश के कई हिस्सों में जीवन का प्रतीक बन रहे हैं।




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