52% कृषि परिवार आय के लिए गैर-कृषि स्रोतों पर निर्भर: PRICE रिपोर्ट
बाजार में उतार-चढ़ाव और पर्यावरण से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण खेती में अस्थिरता बढ़ती जा रही है। इसी वजह से अन्नदाता अब गैर-कृषि क्षेत्र से आमदनी के स्रोतों की ओर रुख कर रहे हैं।
1 जून को निजी थिंक टैंक पीपल रिसर्च ऑन इंडिया कंज्यूमर इकॉनमी (PRICE) द्वारा जारी एक वर्किंग पेपर में यह सामने आया है कि 52 प्रतिशत कृषि परिवार अब गैर-कृषि गतिविधियों से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं।
वर्किंग पेपर ‘अन्नदाता परिवारों और खेती से परे उनकी आजीविका की पुनर्कल्पना’ शीर्षक से जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि इस विविधता का रुझान उन्हें वित्तीय रूप से अधिक लचीला बनाता है और कृषि आय से जुड़े जोखिमों को कम करने में सहायक होता है।
नगालैंड सबसे ऊपर है जहाँ 98% किसान गैर-कृषि क्षेत्र से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। इसके बाद त्रिपुरा (94%), मेघालय (85%), तमिलनाडु (83%), सिक्किम और उत्तराखंड (80%) का स्थान है।
वहीं अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में 82% किसानों ने बताया कि उनकी आमदनी का एकमात्र स्रोत कृषि है। इसके बाद पंजाब (78%), असम (77%), कर्नाटक और मणिपुर (73%) का स्थान है।
रिपोर्ट के अनुसार, कृषि से जुड़े परिवारों की सालाना औसत आय वर्ष 2024-25 में ₹7.31 लाख है। हालांकि इसमें असमानता है — गरीब किसानों की औसत आमदनी ₹2.03 लाख जबकि अमीर किसानों की ₹26 लाख है।
कुल पारिवारिक आय में अब भी लगभग 80% हिस्सा कृषि से ही आता है। इसमें 67.1% आय सीधी कृषि गतिविधियों से, 7.4% डेयरी और पशुपालन जैसे कृषि संबंधित गतिविधियों से, और 4.4% कृषि श्रम से आती है।