18 वर्ष की भारतीय तीरंदाज शीतल बनीं पैरा विश्व चैंपियन
भारतीय तीरंदाज शीतल देवी ने 27 सितंबर को ग्वांगजू में आयोजित पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में तुर्किये की विश्व नंबर 1 ओजनूर क्यूर गिर्डी को 146-143 से हराकर महिला कंपाउंड व्यक्तिगत वर्ग का गोल्ड मेडल जीता। शीतल इस प्रतियोगिता में एकमात्र बिना बाजू वाली तीरंदाज हैं, जो अपने पैरों और ठुड्डी से तीर चलाती हैं।
18 वर्ष की शीतल का यह इस चैंपियनशिप में तीसरा पदक था। इससे पहले उन्होंने टोमन कुमार के साथ मिलकर मिश्रित टीम स्पर्धा में ग्रेट ब्रिटेन की जोड़ी को 152-149 से हराकर कांस्य पदक जीता था।
रजत पदक भी जीता
महिला ओपन टीम स्पर्धा में शीतल और सरिता की जोड़ी को तुर्की से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। व्यक्तिगत फाइनल में संघर्षपूर्ण मुकाबले के दौरान शीतल ने संयम और निरंतरता के साथ शानदार प्रदर्शन किया।
पहला राउंड 29-29 से बराबरी पर था, लेकिन शीतल ने दूसरे राउंड में तीन 10 के साथ 30-27 से बढ़त बना ली। तीसरा राउंड भी 29-29 पर बराबर रहा। चौथे राउंड में शीतल ने 28 अंक बनाए, जिससे गिरडी ने एक अंक की बढ़त बनाई, फिर भी शीतल ने कुल स्कोर 116-114 से बढ़त बनाए रखी।
अंतिम राउंड में तीन सटीक तीरों से 30 अंक हासिल कर शीतल ने अपना पहला गोल्ड मेडल पक्का किया। सेमीफाइनल में उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन की जोडी ग्रिनहैम को 145-140 से हराकर फाइनल में जगह बनाई थी।
ओपन टीम फाइनल में रजत
ओपन टीम फाइनल में शीतल और सरिता की जोड़ी ने शानदार शुरुआत की लेकिन 148-152 से हार गई और रजत पदक मिला। पहले राउंड में भारतीय जोड़ी ने तुर्की की जोड़ी को 38-37 से हराया।
दूसरे राउंड में तुर्की ने वापसी करते हुए मुकाबला 76-76 से बराबर कर दिया। तीसरे राउंड में भारतीय टीम सिर्फ 36 अंक ही बना सकी जबकि तुर्की ने 37 अंक बनाकर बढ़त बना ली। अंतिम राउंड में तुर्की ने लगभग कोई गलती नहीं की और 39 अंक लेकर गोल्ड मेडल जीत लिया, जबकि भारत सिर्फ 36 अंक बना सका।