पनडुब्बी रोधी युद्धपोत 'अजय' से बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत
21 जुलाई को वाइस एडमिरल किरण देशमुख ने कहा कि बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा, संसाधनों पर नियंत्रण और सुरक्षा चुनौतियों के इस दौर में भारतीय नौसेना राष्ट्रीय शक्ति, कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता का प्रमुख साधन बन गई है।
वह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा निर्मित आठवें और अंतिम पनडुब्बी रोधी युद्धपोत ‘अजय’ के जलावतरण समारोह के अवसर पर बोल रहे थे। यह पोत कोलकाता में वाइस एडमिरल की पत्नी श्रीमती प्रिया देशमुख द्वारा जलावतरण किया गया।
हिंद महासागर में बढ़ती भूमिका
उन्होंने बताया कि विश्व व्यापार का 80% हिस्सा हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है, ऐसे में भारतीय नौसेना को इस क्षेत्र में सुरक्षा साझेदार और HADR मिशन में अग्रणी रहना जरूरी है।
GRSE की भूमिका
GRSE देश का प्रमुख रक्षा शिपयार्ड बन चुका है, जिसने 110 से अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है। वाइस एडमिरल देशमुख ने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा योगदान बताया।
‘अजय’ युद्धपोत की विशेषताएं
GRSE के अनुसार, 'अजय' shallow water में संचालन के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। यह पोत 77.6 मीटर लंबा और 10.5 मीटर चौड़ा है तथा तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी अभियानों, निगरानी और बचाव कार्यों में पूरी तरह सक्षम है।
तीसरी पीढ़ी का युद्धपोत
GRSE के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कमोडोर (सेवानिवृत्त) पी.आर. हरि ने बताया कि यह ‘अजय’ पोत तीसरी पीढ़ी का है। इससे पहले का ‘अजय’, भारत का पहला स्वदेशी युद्धपोत था जो 1961 में शामिल हुआ था। वर्तमान 'अजय' आधुनिक तकनीकों से लैस और कई अभियानों के लिए उपयोगी है।