एमपीटीईटी परीक्षा हिंदी साहित्य - 18 फरवरी 2025
एमपीटीईटी परीक्षा हिंदी साहित्य – 18-2-2025
-
आचार्य भरत ने किस रस के मूल में ‘विकृति भाव’ माना है ?
- अ. अद्भुत
- ब. भयानक
- स. हास्य
- द. शृंगार
-
हास्य रस के कितने भेद हैं ?
- अ. दो
- ब. चार
- स. पाँच
- द. छह
-
‘करुण रस’ को सभी रसों का मूल (रसराज) किसने कहा है ?
- अ. पंडितराज
- ब. भरत
- स. भवभूति
- द. महिमभट्ट
-
रामचन्द्र शुक्ल ने करुण रस का स्थायी भाव माना है-
- अ. निर्वेद
- ब. ग्लानि
- स. दैन्य
- द. करुणा
-
करुण रस की तीव्रता शृंगार से भी अधिक किसने मानी है ?
- अ. आनन्दवर्धन
- ब. अभिनवगुप्त
- स. भट्टनायक
- द. कुन्तक
-
‘माया’ को रस घोषित करने वाले आचार्य हैं-
- अ. आनन्दवर्धन
- ब. रूद्रट
- स. भामाह
- द. भानुभट्ट
-
वीर रस का स्थायी भाव है-
- अ. उत्साह
- ब. क्रोध
- स. निर्वेद
- द. विस्मय
-
आचार्य भरत के अनुसार वीर रस के कितने भेद हैं ?
- अ. दो
- ब. तीन
- स. चार
- द. पाँच
-
आचार्य विश्वनाथ ने वीर रस के कितने भेदों का उल्लेख किया है ?
- अ. दो
- ब. तीन
- स. चार
- द. पाँच
-
‘शृंगार’ को ‘रसराज’ किसने घोषित किया है ?
- अ. भोजराज
- ब. आनन्दवर्धन
- स. धनंजय
- द. भरत
Usefull Links
Latest News
Blog
ई-पुस्तकें