27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के लिए सब सुप्रीम प्रयास
22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर 22 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 4 मई 2022 को दिए गए अंतरिम आदेश में ओबीसी आरक्षण को 14% तक सीमित कर दिया था। अब राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की।
अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चांडुरकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और अगली सुनवाई की तारीख 5 अगस्त 2025 तय की है। इस दिन सुप्रीम कोर्ट मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से ट्रांसफर किए गए मामलों की संयुक्त सुनवाई करेगा।
चयनित उम्मीदवारों की मांग – 13% होल्ड हटे
MPPSC से चयनित अभ्यर्थियों की ओर से मांग की गई कि 27% आरक्षण का कानून होने के बावजूद 13% पदों को होल्ड पर रखा गया है, इसे हटाया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा – “हमने आपको रोका कब है?”
ओबीसी महासभा और चयनित अभ्यर्थियों के वकील वरुण ठाकुर ने कोर्ट में 13% पदों को अनहोल्ड करने की अर्जी दी थी।
विवादित सरकारी नोटिफिकेशन
22 सितंबर 2022 को सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि यह कानून के खिलाफ क्यों जारी किया गया? सरकार ने माना कि वह नोटिफिकेशन गलती से जारी हुआ और अब वे पदों को अनहोल्ड करने के समर्थन में हैं।
4 मई 2022 से क्रियान्वयन पर रोक
2019 में मध्यप्रदेश सरकार ने 27% ओबीसी आरक्षण का बिल पास किया था। परंतु शिवम गौतम नामक अभ्यर्थी की याचिका के बाद हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था। इससे संशोधित नियम और कानून भी रुक गए। कुल आरक्षण सीमा 73% हो रही थी (ST - 20%, SC - 16%, OBC - 27%, EWS - 10%)।
बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो गया और सरकार ने ट्रांसफर केस 7/2025 के तहत स्टे हटाने की मांग की है। अगर सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाता है, तो 27% आरक्षण लागू हो सकता है।
छत्तीसगढ़ की मिसाल
एडवोकेट रामेश्वर ठाकुर और वरुण ठाकुर ने कोर्ट में बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर 2022 में 27% ओबीसी आरक्षण लागू किया है, वहां ST को 32%, SC को 13%, और EWS को 4% आरक्षण है (कुल 76%)।
हालांकि वहां भी हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत दी और आरक्षण चालू रखा। छत्तीसगढ़ इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की प्रक्रिया में है।
MP सरकार ठोस आंकड़े नहीं दे सकी
मध्यप्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य में 48% आबादी ओबीसी की है, लेकिन इसका कोई प्रमाणिक डाटा पेश नहीं किया गया। 2019 और 2022 में इसी आधार पर हाईकोर्ट ने स्टे लगाया था।
हर भर्ती में 13% पद होल्ड, 8 लाख अभ्यर्थी प्रभावित
विवाद के कारण सरकार हर भर्ती में 13% पदों को होल्ड पर रख रही है। केवल 14% पदों पर रिजल्ट जारी हो रहा है। 2019 से अब तक 35 से अधिक भर्तियों पर असर पड़ा है। लगभग 8 लाख अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं और करीब 3.2 लाख चयनित अभ्यर्थियों के रिजल्ट होल्ड पर हैं।
राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 विधानसभा चुनाव के बाद अब तक 29,000 नियुक्तियाँ हुई हैं, लेकिन 1.04 लाख पद अभी भी खाली हैं।