प्रदेश के सबसे निरक्षर जिले आलीराजपुर, सबसे ज्यादा साक्षर जिले जबलपुर
मध्य प्रदेश में इस वर्ष 15 वर्ष से अधिक आयु के 25 लाख से अधिक लोगों को औपचारिक शिक्षा देकर असाक्षर से साक्षर बनाया जाएगा। इसके लिए 'उल्लास-नवभारत साक्षरता कार्यक्रम' संचालित किया जा रहा है। इसमें शिक्षकों के साथ सेवानिवृत्त कर्मचारी, स्व सहायता समूह, नेहरू युवा केंद्र, जन अभियान परिषद, आजीविका मिशन और विद्यार्थियों की मदद ली जा रही है। इन्हें अक्षर साथी नाम दिया गया है।
इस वर्ष 25 लाख लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य
प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक करोड़ 89 लाख असाक्षर हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मार्च 2018 तक साक्षर भारत योजना में करीब 49 लाख लोगों को साक्षर किया जा चुका है। इस वर्ष 25 लाख लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य है, जबकि शेष असाक्षरों को वर्ष 2027 तक साक्षर बनाने की योजना है।
प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में आलीराजपुर, झाबुआ और बड़वानी हैं, जहां साक्षरता दर 50 प्रतिशत से कम है। वहीं इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे शीर्ष जिलों में यह दर 80 प्रतिशत से अधिक है। केवल भोपाल जिले में ही 2.40 लाख असाक्षर मौजूद हैं। साक्षरता के मामले में देश में मध्य प्रदेश का स्थान 28वां है।
सरकारी स्कूलों में सामाजिक चेतना केंद्र
सरकारी स्कूलों में सामाजिक चेतना केंद्र खोला गया है। इसके माध्यम से वहां के आसपास के असाक्षरों को अक्षर साथी पढ़ना-लिखना सीखा रहे हैं। अक्षर साथी किसी भी मोहल्ले, बस्ती या गांव में कहीं भी अध्ययन केंद्र खोलकर असाक्षरों को साक्षर बना रहे हैं।
स्कूल-कालेज के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण
कार्यक्रम के लिए प्रौढ़ शिक्षा एप तैयार किया गया है। एप के बारे में जिला, विकासखंड और संकुल स्तर के अधिकारियों द्वारा प्रत्येक निजी स्कूल के एक शिक्षक को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। ये नोडल अधिकारी अपने स्कूल के सभी शिक्षकों और आठवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देंगे।
कार्यक्रम के अंतर्गत समय-समय पर विभिन्न स्तरों पर अक्षर साथियों, संगठनों और संस्थानों को उत्तम योगदान के लिए प्रोत्साहन स्वरूप प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार भी दिए जाएंगे।
अक्षर पोथी भी साक्षर बनाने में सहायक
राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण ने अक्षर पोथी किताब तैयार की है। इसमें अक्षरों को जोड़-जोड़कर पढ़ना सिखाया जाता है। इसमें चित्र भी होते हैं, जिससे पढ़ने में आसानी होती है। इसमें 20 पाठ हैं। इसके मोबाइल एप और वीडियो भी तैयार किए गए हैं।
पढ़-लिखकर बदल गई इनकी जिंदगी
भोपाल जिले के रातीबड़ क्षेत्र के कोलूखेड़ी गांव में कभी गिने-चुने लोग ही पढ़े-लिखे थे। यहां अक्षर साथी ने सबसे पहले एक घर की सास-बहू को पढ़ना-लिखना सिखाया। इसके बाद पूरा गांव प्रेरित हुआ और अब सभी महिलाएं अध्ययन केंद्र में पढ़ने आने लगी हैं।
ऐसा ही बदलाव भीमनगर बस्ती और आदमपुर छावनी में भी दिख रहा है, जहां अक्षर साथी असाक्षरों को अक्षर पोथी के जरिए शिक्षा दे रहे हैं।