IIT इंदौर का आविष्कार: पानी और हवा से खुद चार्ज होने वाला बिजली उपकरण
IIT इंदौर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा क्रांतिकारी उपकरण विकसित किया है जो केवल पानी और वाष्पीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से बिजली उत्पन्न करता है। इस उपकरण को चलाने के लिए सूरज की रोशनी, बैटरी या किसी जटिल मशीन की जरूरत नहीं होती।
धूप के बिना काम करता है — दिन-रात बिजली
यह उपकरण पारंपरिक सोलर पैनल से अलग है, क्योंकि इसे काम करने के लिए धूप की आवश्यकता नहीं होती। यह सिर्फ पानी और प्राकृतिक वाष्पीकरण की मदद से लगातार बिजली उत्पन्न करता है, जिससे यह उन क्षेत्रों में उपयोगी हो सकता है जहां बिजली की पहुंच सीमित है।
कैसे काम करता है यह उपकरण?
इस उपकरण का मुख्य हिस्सा एक विशेष मेंब्रेन है जिसे ग्राफीन ऑक्साइड और जिंक-इमिडाज़ोल से बनाया गया है। जब इसे आंशिक रूप से पानी में डुबोया जाता है, तो पानी छोटे चैनलों से ऊपर की ओर चढ़ता है और वाष्पित होने लगता है। इस प्रक्रिया में सकारात्मक और नकारात्मक आयन अलग हो जाते हैं जिससे एक स्थिर वोल्टेज उत्पन्न होता है।
एक छोटा मेंब्रेन (3×2 सेमी²) लगभग 0.75 वोल्ट तक बिजली उत्पन्न कर सकता है। कई मेंब्रेन को जोड़कर इसका पावर आउटपुट बढ़ाया जा सकता है।
मुख्य विशेषताएँ
- साफ, खारे या गंदे पानी के साथ काम करता है
- महीनों तक स्थिर प्रदर्शन
- सूरज की रोशनी या बैटरी की आवश्यकता नहीं
- दूरदराज या आपात स्थिति में बिजली आपूर्ति के लिए उपयुक्त
संभावित उपयोग
- जंगलों और खेतों में पर्यावरणीय सेंसर को बिजली देना
- ब्लैकआउट के दौरान आपातकालीन लाइटिंग
- दूरस्थ क्लीनिकों में कम ऊर्जा वाले मेडिकल उपकरणों को चलाना
IIT इंदौर का यह नवाचार ग्रामीण, दुर्गम और बिजलीविहीन क्षेत्रों के लिए एक बड़ा समाधान साबित हो सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल, स्थायी और खुद से चार्ज होने वाली ऊर्जा तकनीक की दिशा में एक बड़ा कदम है।