भारत का पहला स्वदेशी गोताखोरी पोत निस्तार नौसेना में शामिल
भारत का पहला स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत निस्तार 18 जुलाई को भारतीय नौसेना में शामिल हो गया। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रक्षा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इसे "गर्व का क्षण" बताया है।
'निस्तार' नाम संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है मुक्ति या मोक्ष। यह पोत गहरे समुद्र में डूबे जहाजों और पनडुब्बियों को बचाने की अत्याधुनिक क्षमता रखता है।
इतिहास और विरासत
पुराना 'निस्तार' 29 मार्च, 1971 को लॉन्च हुआ था और भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तानी पनडुब्बी 'गाजी' की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1989 में इसे डीकमीशन कर दिया गया था।
नए निस्तार की खासियतें
- 10,500 टन वजनी और 120 मीटर लंबा
- लगभग 75% स्वदेशी सामग्री से निर्मित
- 1000 मीटर गहराई तक बचाव अभियानों की क्षमता
- अत्याधुनिक गोताखोरी उपकरणों से सुसज्जित
- पनडुब्बी बचाव के लिए 'मदर शिप' के रूप में कार्यरत
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व
नया निस्तार भारत की पनडुब्बी बचाव क्षमताओं को क्षेत्रीय साझेदारों के साथ साझा कर वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख भागीदार बनाएगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि यह पोत भारत की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
यह पोत समुद्री निगरानी, राहत, और आपदा प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभाएगा। दुनिया की केवल चुनिंदा नौसेनाओं के पास इस तरह की गहराई में कार्य करने की क्षमता है।
निष्कर्ष
नया निस्तार न केवल भारतीय नौसेना की शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह आधुनिक तकनीक, विरासत, और संप्रभुता का प्रतीक बनकर उभरेगा।