गिग इकोनॉमी में छलांगे लगाकर बढ़ रहे हैं करियर के मौके

यकीनन कोविड-19 के बाद गिग इकोनॉमी देश और दुनिया के बाजार का एक खास हिस्सा बन गई है। गिग इकोनॉमी का मतलब है अनुबंध आधारित या अस्थायी रोजगार (गिग वर्क) वाली अर्थव्यवस्था वस्तुतः गिग अर्थव्यवस्था को एक ऐसी नई श्रम व्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है, जो अनौपचारिक क्षेत्र में श्रम उपलब्ध कराने का माध्यम है। हाल के वर्षों में गिग इकोनॉमी एक महत्वपूर्ण आर्थिक घटना के रूप में उभरी है, जिसने लोगों के काम करने के तरीके में क्रांति ला दी है। गिग इकोनॉमी एक ऐसा श्रम बाजार है, जिसकी खासियत शॉर्टटर्म और फ्रीलांस कार्य व्यवस्था है। ऐसी इकोनॉमी में लोगों को अक्सर “गिग लेबर” या “स्वतंत्र वर्कर” के तौर पर जाना जाता है, जो प्रोजेक्ट-दर-प्रोजेक्ट आधार पर काम करते हैं या सेवाएं देते हैं। परंपरागत पूर्णकालिक रोजगार के विपरीत, गिग वर्कर लंबी अवधि के कार्यों और परियोजनाओं से बंधे नहीं होते हैं और वे यह चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं कि वे कब, कहां और कितना काम करेंगे?

गिग इकोनॉमी में रोजगार का विस्तार

हाल ही में प्रकाशित नीति आयोग के आँकड़ों के अनुसार देश में करीब 44 करोड़ लोगों का श्रम बल है। इसमें 77 लाख गिग कर्मी हैं। ऐसे कर्मियों की संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। इसका कारण यह है कि गिग कर्मियों की व्यवस्था फिलहाल केवल शहरी क्षेत्र में ही है और मुख्य रूप से ये सेवा क्षेत्र में सक्रिय है। मगर अब इनका दायरा बढ़ेगा तो गिग कर्मियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। लिहाजा गिग वर्कर श्रम बाजार में सकारात्मक बदलाव लाते हुए दिखाई दे सकेंगे। वस्तुतः गिग कार्य सरकारी नौकरी और वेतनभोगी नौकरियों की तुलना में किसी व्यक्ति के लिए कम आकर्षक विकल्प है तथा वेतनभोगी रोजगार के आकर्षणों को देखते हुए इस तथ्य से इनकार भी नहीं किया जा सकता है लेकिन देश में शहरी क्षेत्र में काम करने वाले 13.1 करोड़ लोगों में केवल 52 लाख ही वेतनभोगी कर्मचारी हैं। ऐसे में सभी को सरकारी व अन्य नौकरियां सुलभ नहीं होने से गिग इकोनॉमी का विस्तार मुहँ बाएँ खड़ा है।

व्हाइट कालर गिग वर्करों की बढ़ी मांग

नीति आयोग के आकलन के अनुसार भारत में गिग वर्कर्स की संख्या 2030 तक बढ़कर 2.3 करोड़ के लगभग हो जाएगी। जहाँ गिग वर्कर को अभी तक कंस्ट्रक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग, डिलिवरीज जैसे श्रम आधारित और कम योग्यता आधारित कार्यों से जोड़कर देखा जाता रहा है, वहीं अब गिग वर्किंग के मौके वाइट कॉलर जॉब यानी ऐसे कामों में भी बढ़ रहे हैं, जहाँ उच्च स्तर के कौशल और शिक्षा की जरूरत होती है। आई टैलेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर सीआईईएल ग्रुप की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल सेक्टर के कम से कम 55 फीसदी संस्थानों ने अपने काम के लिए गिग वर्कर नियुक्त किए हैं। कुछ कंपनियों में तो उनके पूरे कार्यबल का 20 फीसदी से भी ज्यादा का हिस्सा फ्रीलांस कर्मचारियों का है।

इसी तरह गिग प्लेटफॉर्म अवैग के हालिया अध्ययन के मुताबिक साल 2021 में वाइट कॉलर गिग वर्करों की मांग में उससे पहले के वर्ष की तुलना में 240 फीसदी की बढोतरी दर्ज हुई। ऐसे में कंपनियों के महत्वपूर्ण हाइपर लोकल और डिजिटल कामों के तहत बिजनेस डेवलपमेंट, ऑडिटिंग, टेलीकॉलिंग, कंटेंट और डेटा ऑपरेशन्स आदि टॉप के स्किल के रोजगार के रूप में उभरे हैं। माइक्रोसॉफ्ट एंड जिनोव के एक अध्ययन में भी पाया गया है कि इस समय 35 फीसदी से ज्यादा गिग वर्कर्स आईटी सेक्टर से हैं और अनुमान है कि आने वाले समय में हर एक आईटी कंपनी में हर तीन में से एक कर्मचारी गिग वर्कर होगा। गिग इकोनॉमी के तहत आईटी, रिक्रूटमेंट और स्टाफिंग, एजुकेशन और एडटेक जैसे क्षेत्रों में मौके बढ़ रहे हैं। अवैग की रिपोर्ट के मुताबिक उच्च स्तर के कौशल और शैक्षणिक योग्यता के साथ काम के ऐसे मौके कॉमर्स, फिनटेक, हेल्थटेक आदि कंपनियों में भी बढ़ रहे हैं।

गिग अर्थव्यवस्था में काम की स्किल्स व जरूरतें

मोबाइल फोन से संचालित गिग कार्य भारतीय श्रम बाजार के अनौपचारिक ढांचे में अच्छी तरह सुमेलित हो रहा है। मोबाइल फोन के जरिये रोजगार देने वाले व्यक्ति या इकाइयों से आसानी से संपर्क हो जाता है। स्पष्ट है कि जिस किसी व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है उसके लिए छोटे-बड़े प्रोजेक्ट पर अब काम करना एवं श्रम बाजार में भागीदारी दर्ज कराना आसान हो गया है। इसके साथ-साथ गिग वर्कर के लिए काम के अनुरूप शिक्षण-प्रशिक्षण जरूरी है। साथ ही धैर्य व परिश्रम का गुण भी जरूरी है। कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन में यह स्पष्ट रूप से दिखाई दिया कि आर्थिक संकट को देखते हुए कई लोग गिग कार्यों का हिस्सा बन गए। लोग खाली न बैठकर सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा कर कुछ न कुछ कमाई करने लगे। इस तरह, ऐसा शहरी क्षेत्र में गिग कार्य के उदय से आर्थिक सुरक्षा में भी सुधार हुआ है। गिग अर्थव्यवस्था शहरी श्रम बाजार में एक महत्त्वपूर्ण सुधार है। जो शहरी क्षेत्र में आय प्राप्त करने की राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर युवाओं को बड़े शहरों की तरफ आकर्षित कर रही है।

गिग इकोनॉमी में करियर के आयाम

गिग इकॉनमी अलग-अलग तरह के युवाओं के लिए करियर के अलग-अलग आयाम हैं। युवा अपनी शर्तों पर अपने टैलेंट का उपयोग कर अच्छे करियर प्राप्त कर सकते हैं। इस समय गिग वर्किंग के तहत ऑपरेशन्स मर्चेंडाइजिंग, मार्केट इंटेलिजेंस, कंज्यूमर इनसाइट, कंज्यूमर प्रोडक्ट टेस्टिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑन डिमांड नॉलेज के क्षेत्रों में करियर के मौके बढ़े हैं। इसके साथ-साथ बिजनेस डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव्स, फील्ड सेल्स एग्जीक्यूटिव्स, डिलिवरी एग्जीक्यूटिव,डिजिटल प्रमोटर्स, ब्रांड प्रमोटर्स, ग्राफिक डिजाइनर, फोटोग्राफर्स, फ्रीलांस राइटर्स जैसे पदों के लिए भी करियर के मौके बढ़े हैं।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि गिग इकॉनमी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और ऑनलाइन मार्केटप्लेस से संचालित होती है जो गिग वर्कर्स को खास तरह की सेवाओं की तलाश करने वाले कस्टमर्स से जोड़ती है। ये प्लेटफ़ॉर्म बायर्स और सेलर्स के बीच ट्रांजैक्शन को सुविधाजनक बनाते हैं। इस समय सबसे प्रमुख गिग इकॉनमी प्लेटफ़ॉर्म में Uber, Lyft, Airbnb, Upwork, Fiverr और TaskRabbit शामिल हैं। गिग इकोनॉमी के सबसे प्रमुख उदाहरणों में उबर और लिफ़्ट जैसी कंपनियां ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में क्रांति ला रही हैं।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में, उबर और लिफ़्ट जैसी राइड-हेलिंग कंपनियां लोगों को ड्राइवर के रूप में साइन अप करने और ऑन-डिमांड आधार पर यात्रियों को ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्रदान करने के लिए अपने स्वयं के वेहिकल्स का उपयोग करने के लिए भी देती हैं। इसी तरह, अपवर्क और फाइवर जैसे कई फ्रीलांस प्लेटफॉर्म बिजनेसेज और ग्राफिक डिजाइन, लेखन, प्रोग्रामिंग और दूसरे विभिन्न कार्यों के लिए टैलेंटेड प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार मुहैया कराने में मदद करते हैं।

गिग वर्किंग में कैसे प्रवेश करें-

गिग वर्किंग में प्रवेश करना आसान है। आप अपनी रुचि, योग्यता व क्षमता के अनुरूप विभिन्न प्रकार के गिग वर्क में से किसी उपयुक्त का चयन करें। उससे संबंधित कोई डिप्लोमा व डिग्री प्राप्त करें। ये कोर्स ऑनलाइऩ भी किए जा सकते हैं। इनसे संबंधित डिजिटल स्किल्स व कार्यानुभव प्राप्त करके गिग वर्किंग में प्रवेश करें। गिग जॉब्स में अपस्किलिंग की भी ब़ड़ी अहमियत है। यदि आप भी नए दौर की गिग वर्किग से अपना करियर बनाना चाहते है तो इस आलेख में दिए मार्गदर्शन के आधार पर गिग इकोनॉमी में अच्छे करियर की डगर पर आगे बढ़िए।