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भारत जैविक किसानों की कुल संख्या के मामले में ‘नंबर वन’ है और जैविक खेती के तहत कुल रकबे की दृष्टि से नौवें स्थान पर है। सिक्किम पूरी तरह से जैविक बनने वाला दुनिया का पहला राज्य बन गया। यही नहीं, त्रिपुरा एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों ने भी ठीक इसी तरह के लक्ष्य तय किए हैं। विश्व में 57.8 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है। विश्व के लगभग 178 देश जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक उत्पादों का वैश्विक बाजार 89.7 बिलियन यूएस डॉलर को पार कर गया है। खेती का भविष्य जैविक खेती ही है।
जैविक खेती के तेजी से बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जैविक खेती समय की सबसे बड़ी जरूरत है। उल्लेखनीय है कि यूरोप, जापान तथा सं.रा. अमेरिका जैसे देशों में बच्चों में कैंसर के अधिक मामले सामने आने पर अब पाँच साल तक के बच्चों के लिए जैविक खाद्य पदार्थ अनिवार्य कर दिए गए हैं। कुछ समय पहले तक हमारे देश में भी लोग रासायनिक खाद पर ही पूरी तरह से निर्भर थे। परंतु अब हमारे देश में भी स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते जैविक खेती के द्वारा तैयार उत्पादों की माँग तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके चलते इस क्षेत्र में करियर की बेहद चमकीली संभावनाएँ उत्पन्न हो गई हैं।
गौरतलब है कि जैविक खेती वह सदाबहार कृषि पद्धति है, जो पर्यावरण की शुद्धता को बरकरार रखती है। जैविक खेती भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाती है। इसमें रसायनों का उपयोग बिलकुल नहीं या नगण्य होता है और कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होता है। जैविक पद्धति में रासायनिक उर्वरकों, रासायनिक कीटनाशकों तथा खरपतवार नाशकों की अपेक्षा गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद, बैक्टीरिया कल्चर, जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों जैसे साधनों से खेती की जाती है। उल्लेखनीय है कि मिट्टी में असंख्य जीव रहते हैं, जो एक-दूसरे के पूरक तो होते ही हैं, साथ ही पौधों के विकास के लिए पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते हैं। भारत में पहले से ही गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद और जैविक खाद का प्रयोग विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। जैविक खाद बनाने के लिए पौधों के अवशेष, गोबर, जानवरों का बचा हुआ चारा आदि सभी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। जैविक खेती का मूल उद्देश्य तेजी से बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर मृदा संरक्षण की प्रक्रियाएँ अपनाते हुए जैविक तरीकों से कीट तथा रोग पर नियंत्रण रखते हुए फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है, ताकि लोगों को सुरक्षित तथा स्वास्थ्यकारी कृषि उत्पाद उपलब्ध हो सकें और साथ ही कृषि प्रक्रियाओं में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की कम से कम क्षति हो। जैविक खेती के दायरे में खाने-पीने की वे चीजें आती हैं, जिन्हें कृत्रिम खाद, कृत्रिम कीटनाशक या कृत्रिम हॉर्मोन की मदद के बगैर तैयार किया जाता है। ये कुदरती तरीके से तैयार चीजें होती हैं। इनसे तैयार चीजों में जिंक और आयरन जैसे खनिज तत्व बड़ी मात्रा में मौजूद होते हैं। जैविक उत्पादों में 40 प्रतिशत से ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं और ये सेहत के लिहाज से बहुत उपयोगी हैं, क्योंकि रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल न सिर्फ जमीन की सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि इनसे तैयार कृषि उत्पाद इंसानों तथा जानवरों की सेहत पर भी बुरा असर डालते हैं। इसलिए जैविक खेती वर्तमान एवं भविष्य की जरूरत है।
जैविक खेती के लिए सबसे जरूरी है कि जैविक खेती करने वाले के पास जैविक बीज और जैविक खाद की उपलब्धता हो। यकीनन हमारे देश में खेती मानसून पर आधारित है। मानसून अच्छा हुआ तो बाजार भी मजबूत होता है। ऐसे में जैविक खेती उन क्षेत्रों के लिए भी फायदे का सौदा साबित हुई है, जो वर्षा पर आधारित हैं। अभी भी लोगों का मानना है कि जैविक खेती के लिए बड़े पैमाने पर जमीन की जरूरत होती है। जबकि सच्चाई यह है कि यह खेती छोटे से भूभाग पर भी की जा सकती है। शुरुआत में छोटे स्तर पर जैविक फसल उगा सकते हैं, बाद में इसे बड़ा आकार अथवा व्यावसायिक रूप दिया जा सकता है। इसके जरिए शुरू में गेहूँ, धान, सब्जी, मक्का, अरहर तथा चना आदि की खेती की जा सकती है। खाद के नाम पर इसमें नीम तथा सरसों की खली, नीम का तेल, वर्मी कम्पोस्ट को प्रयोग में लाया जाता है। जैविक खेती से कम लागत में उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती करने पर 80 प्रतिशत लागत कम हो जाती है।
यदि आप कृषि कार्य अथवा कृषि से संबद्ध क्षेत्रों में रुचि रखते हैं तथा कृषि के क्षेत्र में चमकीला करियर बनाने की सोच रहे हैं तो आपके लिए जैविक खेती एक अच्छा करियर विकल्प है। देश भर में बड़ी संख्या में युवाओं ने इसमें सुरक्षित तथा लाभकारी भविष्य को देखते हुए इस क्षेत्र की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। कई प्रतिभाशाली युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए आगे आए हैं। ये खुद तो जैविक खेती कर ही रहे हैं, आसपास के कई गाँवों के युवाओं को इससे जोडक़र जागरूक भी कर रहे हैं। कुछ युवाओं ने बाकायदा संगठन बनाकर जैविक खाद बनाने, किसानों को जागरूक करने तथा जैविक खेती करने का संकल्प लिया है। उल्लेखनीय है कि खेती के जरिए बिजनेस और एंटरप्रेन्योरशिप से न सिर्फ युवाओं को फायदा हो रहा है, बल्कि दूसरों को रोजगार भी मिला है। गाँव में काम की तलाश कर रहे बेरोजगार युवाओं को जैविक खेती के तहत काम दिया जाता है। जैविक खेती का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसके लिए लीक से हटकर काम करना होता है। जैविक खेती के दौरान शुरुआत में उत्पादन में कुछ गिरावट और खेती को पटरी पर आने में कुछ समय लग सकता है। इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। यदि आप जैविक खेती के जरिए सब्जी उगा रहे हैं तो बदल-बदल कर (रोटेशन में) सब्जी बोएँ। एक ही सब्जी बार-बार बोने से उपज कम हो जाती है।
देश और दुनिया में जैविक उत्पादों की बढ़ती महत्ता को देखते हुए कृषि मंत्रालय देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना संचालित कर रहा है। राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना, गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र तथा जबलपुर, बैंगलुरू, भुवनेश्वर, हिसार, इंफाल और नागपुर स्थित छह क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से लागू की गई है। इसी तरह राष्ट्रीय बागवानी मिशन और प्रौद्योगिकी मिशन के तहत जैविक खेती के लिए सहायता दी जाती है। आप उत्पादन कर या ऑर्गेनिक फूड्स की दुकान या रेस्तरां खोलकर बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आप जैविक उत्पादों के निर्यात के क्षेत्र में भी चमकीला करियर बना सकते हैं क्योंकि वैश्विक बाजार में इन उत्पादों की जबरदस्त माँग है। जैविक उत्पादों को यूरोपीय देशों में हाथों-हाथ लिया जाता है। जैविक खेती के लिए किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता भी नहीं होती है। आप प्रशिक्षण प्राप्त कर इस क्षेत्र में शुरुआत कर सकते हैं।
जैविक खेती की ट्रेनिंग नवदान्या बीज विद्यापीठ, देहरादून (उत्तराखण्ड), जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर तथा देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि महाविद्यालयों में वर्कशॉप तथा ट्रेनिंग कैम्प लगाकर समय-समय पर दी जाती है।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर ) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)