करियर निर्माण की दृष्टि से साइकोलॉजी की प्रमुख शाखाएँ कौन-कौनसी है?  

चिकित्सा, समाजसेवा तथा रोमांच से भरपूर क्षेत्र है साइकोलॉजी (मनोविज्ञान) का। करियर निर्माण की दृष्टि से साइकोलॉजी की प्रमुख शाखाएँ इस प्रकार हैं- शैक्षिक साइकोलॉजी- साइकोलॉजी की यह शाखा शिक्षा तथा अध्ययन प्रक्रिया चाहे वह वयस्क अथवा शिशु अध्ययन हो, की जानकारी देती है। इसमें उनकी प्रभावकारिता को सुधारने की अध्ययन तकनीकें एवं पद्धतियाँ शामिल हैं। शैक्षिक साइकोलॉजिस्ट अधिकांशत: स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों तथा प्रशिक्षण संस्थाओं में कार्य करते हैं। बाल साइकोलॉजी- बाल साइकोलॉजी में बच्चों में अध्ययन अक्षमताओं तथा अपंगताओं से जुड़े आचरण का अध्ययन शामिल होता है। पुनर्स्थापना केन्द्रों आदि को बाल साइकोलॉजिस्ट की बहुत आवश्यकता होती है। सामाजिक साइकोलॉजी- सामाजिक साइकोलॉजी, सामाजिक संरचना में व्यक्तियों अथवा समूहों के व्यवहार की जानकारी देता है। सामाजिक साइकोलॉजिस्ट सामाजिक संगठनों, संस्थाओं के साथ कार्य करता है और उसे विभिन्न साक्षात्कार चयन पैनलों में भी रखा जाता है। औद्योगिक साइकोलॉजी- कई बार इसे संगठनात्मक साइकोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है। औद्योगिक साइकोलॉजिस्ट कार्य-संस्थापनाओं में कर्मचारी आचरण का अध्ययन करने के लिए अपने ज्ञान तथा विशेषज्ञता कौशल का उपयोग करते हैं। उनकी आवश्यकता रोजगार के लिए व्यक्तियों को चुनने, एक कार्यप्रेरित माहौल बनाने के लिए कर्मचारियों का मार्गदर्शन करने एवं उन्हें सलाह देने, संगठनात्मक नीतियों की रूपरेखा बनाने, उत्पादकता तथा संचार में सुधार के लिए होती है। औद्योगिक साइकोलॉजिस्ट की आवश्यकता संगठनों औद्योगिक इकाइयों में प्रशिक्षकों के रूप में होती है। प्रायोगिक साइकोलॉजी- साइकोलॉजी का यह क्षेत्र संबंधित प्रयोग करने के लिए विषय के मूल-सिद्धांतों से जुड़ा होता है। ऐसे कुछ प्रयोगों का परिणाम व्यापक उपयोगिता के साथ अनुशासन के लिए काफी उपयोगी है। प्रायोगिक साइकोलॉजी अनुसंधान कार्य तथा शिक्षा संस्थानों के लिए अत्यधिक उपयुक्त होते हैं। खेल साइकोलॉजी- खिलाडिय़ों को अनेक प्रकार की चिंताओं तथा आशंकाओं का सामना करना पड़ता है। उनका खेल प्रदर्शन न केवल उनकी सहन-शक्ति पर बल्कि उनकी मानसिक स्थिति पर भी काफी हद तक निर्भर होता है। खेल साइकोलॉजी खिलाडिय़ों को उनके लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने, अत्यधिक कार्यप्रेरित बने रहने तथा आशंकाओं, असफलता एवं गतिरोध के भय का सामना करने में सहायता प्रदान करता है। इस क्षेत्र के साइकोलॉजिस्ट को बड़े खिलाडिय़ों, खेल क्लबों तथा खेल संवर्धन निकायों के साथ कार्य करने के अवसर मिलते हैं। नैदानिक साइकोलॉजी- बढ़ती हुई सामाजिक जटिलताओं के कारण अब मनुष्य में मानसिक चिंताओं एवं रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। नैदानिक साइकोलॉजी में ऐसी चिंताओं तथा रोगों के निदान, कारण एवं उपचार का अध्ययन किया जाता है। कुछ मामलों में नैदानिक साइकोलॉजिस्ट की आवश्यकता अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों आदि में डॉक्टरों, नर्सों के साथ कार्य करने के लिए होती है। शैक्षिक तथा अनुसंधान संस्थाओं में भी इनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में नैदानिक साइकोलॉजिस्ट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मनोविकृति साइकोलॉजी- मनोविकृति साइकोलॉजी, मनोविकृति विज्ञान से भिन्न होता है। मनोविकृति विज्ञान चिकित्सा विज्ञान के अन्तर्गत आता है। मनोविकृति वैज्ञानिक दवाइयाँ देते हैं जबकि मनोविकृति साइकोलॉजी में साइकोलॉजिस्ट मनुष्य के साइकोलॉजिकल मामलों के उपचार के लिए थैरेपी, परामर्श एवं सलाह देते हैं। परामर्श साइकोलॉजी- व्यक्तिगत तथा भावनात्मक समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों को उनके जीवन के कठिन कारण से उबरने के लिए समर्थन तथा मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परामर्श साइकोलॉजी का विकास किया गया है। परामर्श साइकोलॉजी प्रैक्टिशनर्स, जिन्हें परामर्शदाता कहा जाता है, व्यक्तियों से बात करते हैं, उनकी मानसिक स्थिति को समझते हैं तथा उन्हें परेशान करने वाली समस्याओं से उबरने के श्रेष्ठ उपाय उन्हें सुझाते हैं। इस तरह के परामर्श जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे विवाह, करियर एवं अन्य पहलुओं में हो सकता है। साइकोलॉजी की इन शाखाओं में करियर की चमकीली संभावनाएँ हैं। -डॉ. जयंतीलाल भंडारी

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