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हिन्दी भाषा में हैं रोजगार के चमकीले अवसर


देश के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार देश की कुल जनसंख्या में 43.63 प्रतिशत जनसंख्या की मातृभाषा हिन्दी है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हिन्दी भाषा दुनिया में तीसरे नंबर  सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी भाषा के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 343(1) में देवनागरी लिपि में हिन्दी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है। यकीनन वैश्वीकरण और निजीकरण के वर्तमान परिदृश्य में अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते आर्थिक संबंधों को देखते हुए संबंधित आर्थिक साझेदार देशों की भाषाओं की अन्तर शिक्षा की जरूरत महसूस की जाने लगी है। इसके साथ ही विदेशियों में भी हिन्दी भाषा के प्रति रुचि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि कई देशों ने अपने यहाँ हिन्दी भाषा को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षण केन्द्रों की स्थापना की है। विदेशी छात्र भी हिन्दी को लोकप्रिय और सरलता से सीखने योग्य भारतीय भाषा मानते हैं।

गौरतलब है कि हिन्दी भाषा की अत्यधिक लोकप्रियता और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ, हिन्दी भाषा के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी जबर्दस्त इजाफा हुआ है। केन्द्र सरकार तथा हिन्दी भाषी राज्यों की सरकारों के विभिन्न विभागों में, हिन्दी भाषा में कार्य करना अनिवार्य है। अत: केन्द्र-राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों और इकाइयों में हिन्दी अधिकारी, हिन्दी अनुवादक, हिन्दी सहायक, राजभाषा प्रबंधक, आशुलिपिक, टंकक जैसे विभिन्न पदों की भरमार है। गौरतलब है कि निजी टेलीविजन चैनलों एवं एफएम रेडियो चैनलों की शुरुआत और स्थापित  पत्र-पत्रिकाओं के हिन्दी रूपान्तर आने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। हिन्दी मीडिया एïवं पत्रकारिता के क्षेत्र में संपादकों, संवाददाताओं, रिपोर्टरों, न्यूज रीडर्स, उप-संपादकों, प्रूफ रीडरों आदि की बहुत आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में रोजगार की इच्छा रखने वालों के लिए पत्रकारिता, जनसंचार में डिग्री या डिप्लोमा के साथ हिन्दी में अकादमिक योग्यता रखना बहुत आवश्यक है। कोई व्यक्ति रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा आदि के लिए स्क्रिप्ट राइटर, डॉयलॉग राइटर, गीतकार के रूप में भी करियर बना सकता है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक एवं कलात्मक रूप से सृजनात्मक लेखन जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय लेखकों के कार्यों का हिन्दी में अनुवाद तथा हिन्दी के लेखकों की कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद कार्य भी किया जा सकता है। फिल्मों की स्क्रिप्टों, विज्ञापनों को हिन्दी या अंग्रेजी में अनुवाद करने का भी कार्य किया जा सकता है परंतु इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए द्विभाषी दक्षता होना आवश्यक है। इस क्षेत्र में दक्ष व्यक्ति स्वतंत्र अनुवादक के तौर पर अपनी आजीविका चला सकता है और अनुभव के उपरांत अपनी खुद की अनुवाद फार्म को भी स्थापित कर सकता है।

हिन्दी की पहुँच तथा हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता के चलते प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन संस्थानों ने न केवल हिन्दी प्रकाशनों की शुरुआत की है अपितु श्रेष्ठï बिक्री लक्ष्य प्राप्त करने वाली पुस्तकों के बड़े पैमाने पर अनुदित रूपान्तर हिन्दी में प्रकाशित करना शुरू कर दिए हैं। अत: इन संस्थानों में भी अनुवादक, संपादक तथा कम्पोजर के रूप में उजले करियर अवसर मौजूद हैं। पत्र-पत्रिकाओं एवं प्रकाशकों के यहाँ प्रूफ रीडिंग तथा हिन्दी टाइपिंग जानने वालों की बहुत माँग है। अंग्रेजी टाइपिंग करने वाले आपको बहुत मिल जाएँगे परंतु हिंदी में टाइपिंग करना आज भी लोगों के लिए दुरूह है। यदि हिंदी भाषा पर पकड़ बनाने के साथ-साथ हिंदी टाइपिंग भी सीख ली जाए तो प्रकाशकों के यहाँ जॉब करके अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। हिन्दी भाषा में स्नातकोत्तर तथा पीएच.डी. कर चुके उम्मीदवारों के लिए विदेशों में भी रोजगार के चमकीले अवसर हैं। कुछ देशों द्वारा हिन्दी को बिजनेस की भाषा स्वीकार किए जाने के फलस्वरूप विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा शिक्षकों की जबर्दस्त माँग है। भारत में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक के तौर पर भी परंपरागत शिक्षण व्यवसाय को अपनाया जा सकता है। अध्यापन के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वालों के लिए भी अनगिनत अवसर हैं। बी.ए., बी.एड. करने के बाद टी.जी.टी. अध्यापक/माध्यमिक विद्यालय शिक्षक बना जा सकता है। आज टी.जी.टी. अध्यापकों की माँग पूरे देश में है। पी.जी.टी. टीचरों/उच्च माध्यमिक विद्यालय शिक्षकों की माँग भी कम नहीं है। एम.ए. हिंदी में 55 प्रतिशत अंक लाने और नेट क्लियर करने के बाद एम.फिल., पी.एच.डी. करने से महाविद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाने की योग्यता हासिल हो जाती है। हिंदी प्राध्यापकों की नियुक्तियाँ गैर हिंदी भाषी प्रदेशों में भी होती हैं। इनका कार्य सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले गैर हिंदी भाषी कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने में सक्षम बनाना होता है।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के अधीन वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग काम करता है। यहाँ पर हिंदी और अन्य सभी भारतीय भाषाओं के वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों को पारिभाषित और नए शब्दों का विकास किया जाता है। यहाँ भी अंग्रेजी की जानकारी के साथ हिंदी भाषा में दक्ष लोगों के लिए रोजगार के ढेरों अवसर हैं। आज  सैकड़ों टेलीविजन चैनल हैं जिन पर हिंदी में कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। यहाँ तक कि एनीमल प्लेनेट, डिस्कवरी चैनल तथा नेशनल ज्योग्राफी जैसे अंग्रेजी चैनल भी हिंदी में कार्यक्रम बनाने हैं। हिंदी का बाजार इतना व्यापक हो गया है कि इन विदेशी चैनलों को भी हिंदी भाषा में प्रसारण करने को मजबूर होना पड़ा है। हिंदी में असंख्य धारावाहिक प्रसारित हो रहे हैं। इन धारावाहिकों में पटकथा लेखक की आवश्यकता पड़ती है। विदेशी कम्पनियाँ भी अब हिंदी में विज्ञापन तैयार करवा रही हैं। यदि आप विज्ञापन के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं तो इस क्षेत्र में नाम और शोहरत की कोई कमी नहीं है। देश में विदेशी चैनलों तथा विदेशी मीडिया का आगमन हुआ तो लगने लगा कि हिन्दी का वजूद घट जाएगा, लेकिन हिन्दी की उपयोगिता का ही आलम है कि आज सबसे ज्यादा देखा जाने वाला चैनल एवं सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र हिन्दी में ही है। हिन्दी सिनेमा भी लोगों के लिए एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। बीबीसी सहित कई वेबसाइट्स अपना हिन्दी पोर्टल चला रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने भी हिन्दी के माध्यम से वर्चस्व स्थापित करने के लिए हिन्दी में ऑपरेटिंग सिस्टम शुरू किया है।

भूमंडलीकरण के बाद से हिन्दी में तेजी से बदलाव देखने को मिला है। आज स्थिति यह है कि अमेरिका में 100 से भी ज्यादा संस्थानों में हिन्दी की विधिवत पढ़ाई होती है। आज भारी संख्या में विदेशी छात्र हिन्दी भाषा सीखने के लिए भारत आ रहे हैं। कई तकनीकी रोजगार हिन्दी के बल पर मिलते नजर आ रहे हैं। हिन्दी के भविष्य तथा बाजार को देखते हुए कहना गलत न होगा कि आने वाला समय हिन्दी के प्रोफेशनल्स के लिए और भी रोजगारपरक होगा। आज स्थिति यह है कि हिंदी भाषा के अच्छे जानकारों की कमी बढ़ती जा रही है। माँग बहुत अधिक है पर पूर्ति हेतु योग्य प्रोफेशनल्स नहीं मिल रहे हैं। यकीन के साथ यह कहा जा सकता है कि हिन्दी भाषा में जबरजस्त ताकत है, जो आपको रोजगार जरूर दिलाएगी। हिन्दी भाषा में स्नातक, स्नातकोत्तर, एम फिल, पीएचडी आदि की जा सकती है। इसके अलावा डिप्लोमा तथा पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं। इन कोर्सों या अन्य हिन्दी भाषा से जुड़े कोर्स जैसे अनुवादक, रचनात्मक लेखन करने के उपरांत रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध हो जाते हैं। यकीनन हिंदी भाषा में रोजगार की संभावनाएँ अनंत हैं।

देश के कई संस्थान एवं विश्वविद्यालय हैं जो हिन्दी भाषा के कई रोजगारोन्मुखी कोर्स संचालित करते हैं।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर)

111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)