युद्ध के समय MSME को सशक्त बनाना आवश्यक – डॉ. जयंतिलाल भंडारी


युद्ध के समय MSME को सशक्त बनाना आवश्यक – डॉ. जयंतिलाल भंडारी

युद्ध के समय MSME को सशक्त बनाना आवश्यक

लेखक: डॉ. जयंतिलाल भंडारी

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात तथा वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों के बीच देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) को सशक्त बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। जब आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है, तो स्थानीय MSME तेजी से खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और छोटे रक्षा उपकरण जैसे आवश्यक वस्तुओं का सस्ते दर पर उत्पादन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

7 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों, विशेष रूप से उद्योग और MSME मंत्रालय को पूरी क्षमता से कार्य करने का निर्देश दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस क्षेत्र को राष्ट्रीय सुरक्षा में भी अहम मान रही है।

पाकिस्तान के साथ तनाव और अमेरिका द्वारा 26% टैरिफ लगाने के बीच, MSME निर्यातकों को अनुबंधों के पुन: मूल्यांकन, भुगतान में देरी और छूट की नई मांगों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकारी रणनीतिक समर्थन बेहद जरूरी है।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि MSME के पास वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धी बनने का ऐतिहासिक अवसर है। सरकार ने 2250 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन मिशन को तेज करने और बिना गारंटी वाले ऋण की सुविधा देने की योजना बनाई है। साथ ही, FY 2025-26 के लिए MSME को दिए जाने वाले ऋण का लक्ष्य 17.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष से 20% अधिक है।

देश में 5.93 करोड़ पंजीकृत MSME हैं, जो 25 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं और भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% का योगदान करते हैं। FY 2024-25 में MSME क्षेत्र से 12.39 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है, जो कुल निर्यात का 46% है।

वर्तमान बजट 2025-26 में MSME को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ लागू की गई हैं, जैसे उद्यम पोर्टल, पीएम विश्वकर्मा योजना, PMEGP, SFURTI और सार्वजनिक खरीद नीति। MSME की परिभाषा में निवेश और टर्नओवर की सीमा भी बढ़ाई गई है ताकि अधिक उद्योग लाभ प्राप्त कर सकें।

हालांकि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया 26% टैरिफ चीन (245%), बांग्लादेश (37%) और श्रीलंका (44%) की तुलना में कम है, फिर भी MSME को अपनी क्षमताओं में सुधार, संचालन में दक्षता और सरकार से नीति समर्थन की आवश्यकता है।

अवसंरचना को मजबूत करने, लॉजिस्टिक्स सुविधाएं बढ़ाने, कम ब्याज दरों पर ऋण देने, ब्याज समानता योजना को पुनः आरंभ करने और क्रेडिट गारंटी कार्यक्रमों को बढ़ाने जैसे कदम MSME के लिए वित्तीय राहत प्रदान कर सकते हैं। GST प्रणाली को सरल बनाना और PLI योजना का विस्तार करना भी आवश्यक है।

डिजिटल तकनीकों को अपनाकर और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करके MSME वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकते हैं। नवाचार की नई लहर MSME के लिए सफलता का नया अध्याय लिख सकती है।

हाल ही में अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बास्टर्ड द्वारा दिए गए बयान कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) अंतिम चरण में है, MSME क्षेत्र के लिए आशा की किरण है। यदि यह समझौता जल्दी पूर्ण होता है, तो भारत पहला देश होगा जो अमेरिका के साथ ऐसा समझौता करेगा।

इसलिए युद्ध जैसे हालात में सरकार को MSME को तुरंत और रणनीतिक रूप से समर्थन देना चाहिए ताकि ये उद्यम अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन करते हुए न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन कर सकें और देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकें।




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