BLOG

पर्यावरण के क्षेत्र में विशेषज्ञता दिलाएगी करियर के अवसर


इस समय देश और दुनिया में पर्यावरण विज्ञान (एन्वाइरमेंटल साइंस) में करियर के मौके तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पर्यावरण विज्ञान विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसमें पर्यावरण के विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है। पर्यावरण विज्ञान के जरिए पर्यावरण संबंधी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसमें मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु व जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण तथा प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन किया जाता है।

इस समय पूरी दुनिया में पर्यावरण संकट से निपटने के लिए वृहद स्तर पर काम किए जा रहे हैं। पृथ्वी पर मौजूद मानव समाज द्वारा फैलाए जा रहे विविध प्रकार के प्रदूषण को देखते हुए ये उपाय अपर्याप्त हैं। इतना ही नहीं रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध जैसी जनित आपदाओं से पर्यावरण की वैश्विक चुनौतियाँ और बढ़ गई हैं।

क्यों बढ़ रहे हैं पर्यावरण सेक्टर में करियर

जैसे-जैसे देश और दुनिया में पर्यावरण विज्ञान आगे बढ़ रहा है, पर्यावरण नियंत्रण अभियान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पर्यावरण सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में पर्यावरण के संरक्षण के प्रति केन्द्र सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में काफी समय पहले बाकायदा एक स्वतंत्र मंत्रालय ही पर्यावरण के मामलों एवं चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया जा चुका था। इस मंत्रालय और इससे जुड़े विभाग देश भर में फैले हुए हैं। कमोबेश यही स्थिति राज्य स्तर पर भी देखी जा सकती है। इस विशाल नेटवर्क में कई तरह की जॉब्स के अवसर एन्वायर्नमेंट में दक्ष लोगों के लिए हो सकते हैं। प्रतिवर्ष केंद्र सरकार के बजट में पर्यावरण मद पर आवंटन बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता तथा सरकारी स्तर पर बढ़ते खर्चों को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में भी इस क्षेत्र में काम करने वाली छोटी-बड़ी कम्पनियाँ अब अस्तित्व में आ चुकी हैं।

पर्यावरण विज्ञान से संबंधित जो प्रमुख युवाओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, उनमें प्रमुखतया

बीएससी इन एन्वाइरमेंटल साइंस, बीई इन एन्वाइरमेंटल साइंस, एमएससी इन एन्वाइरमेंटल साइंस, एमटेक इन एन्वाइरमेंटल साइंस, पीजी डिप्लोमा इन एन्वाइरमेंटल मैनेजमेंट, पीएचडी इन एन्वाइरमेंटल साइंस, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन अर्थ साइंस आदि हैं। पर्यावरण विज्ञान में करियर के क्षेत्र पर्यावरण विज्ञान के तहत करियर के जो कई विकल्प बड़ी डिमांड में है, उनमें एन्वाइरमेंटल इंजीनियर, एन्वाइरमेंटल लॉयर, एन्वाइरमेंटल जर्नलिस्ट, एन्वाइरमेंटल कंजरवेशनिस्ट, वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट, एन्वाइरन्मेंटल कंसल्टेंट, एन्वाइरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंट प्रमुख हैं। सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय-कॉलेज के अलावा वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइन्स फर्टिलाइजर प्लांट, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और टेक्सटाइल मिलों में एन्वाइरमेंटल साइंटिस्ट के रूप में भी नौकरियों के मौके बढ़ते जा रहे है।

पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेशनल्स को जो कार्य एवं जिम्मेदारियों दी जाती हैं।

प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नियमों को तैयार करना तथा समय-समय पर उनमें आवश्यक बदलाव करना। इस तरह के प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी पर्यारवण सुधार कार्यक्रमों की प्रगति पर नजर रखना।

औद्योगिक संस्थानों एवं नगर निगम-नगर पालिकाओं के पर्यावरण नियमों के क्रियान्वयन पर आधारित कार्य कलापों का ऑडिट करना। प्रदूषित स्थलों में सुधार हेतु विभिन्न एजेंसियों को कंसल्टेंसी सर्विस देने जैसे कार्य करना।

पर्यावरण सुरक्षा एवं प्रदूषण संबंधी कानूनी मामलों में सलाह देना।

पर्यावरण सुरक्षा/संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट्स का डिजाइन तैयार करना तथा उन्हें एक समय-सीमा में कम से कम लागत पर पूरा करना, जिसमें जल संरक्षण, वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली तथा कचरे से ऊर्जा उत्पादन जैसी योजनाएँ शामिल होती हैं।

पर्यावरण विज्ञान से संबंधित कोर्स

पर्यावरण विज्ञान के जो भी कोर्स हैं, वे प्रदूषण की भयावहता को बताते हैं और जागरूकता बढ़ाने पर बल देते हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रचलन में बैचलर व मास्टर कोर्स हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्र का विज्ञान विषय के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना जरूरी है, देश की कई यूनिवर्सिटीज में एन्वाइरमेंटल पर आधारित कई तरह के कोर्सेज संचालित किए जा रहे हैं। ये बैचलर और मास्टर्स डिग्री के स्तर से लेकर पीएचडी तक हो सकते हैं। सरकारी ही नहीं अपितु निजी क्षेत्र के संस्थान भी ऐसे कोर्सेज संचालित करते हैं। एन्वायर्नमेंट के कोर्स में प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन दिया जाता है। बारहवीं में विज्ञान विषयों की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी ही इस प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।

पर्यावरणीय संकट के वर्तमान दौर में इस क्षेत्र के युवा प्रोफेशनल्स की माँग देश ही नहीं अपितु विदेश में भी है। निसंदेह पर्यावरण क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हाल के वर्षों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी तकनीकों तथा उपायों का विकास करने में जबरदस्त सफलता हासिल की है।

पर्यावरण सेक्टर में करियर की जरूरी स्किल्स

पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे लोगों को जाना चाहिए, जिनमें पर्यावरण के प्रति लगाव हो। प्रदूषण से लड़ाई को जो लोग अपनी निजी लड़ाई समझते हों। ऑफिस वर्क से ज्यादा फील्ड में काम करने का जिनमें जज्बा हो। दिन-प्रतिदिन सामने आने वाली चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने तथा सफल होने का पूरा आत्मविश्वास हो तथा समूह में काम करने तथा करवाने की विशेषता भी हो। विज्ञान में रूचि होना भी इस पेशे की एक अनिवार्य शर्त है।

विदेशों में इस तरह के एक्सपर्टस् के लिए रोजगार की चमकीली संभावनाएँ हाल के वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ी हैं। इसके पीछे मूल कारण जापान, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड दक्षिण कोरिया, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सरीखे देशों में अत्यंत सख्त पर्यावरण कानूनों का लागू किया जाना है। इनके क्रियान्वयन के लिए बड़े पैमाने पर पर्यावरण विज्ञान की शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को विभिन्न स्तरों पर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा एन्वायर्नमेंट टीचिंग एक अन्य क्षेत्र है, जहाँ पर आने वाले दिनों में प्रशिक्षित लोगों की जरूरत बहुत तेजी से बढ़ेगी। सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल आदि भी देश की ऐसी ही एजेंसीज हैं, जिनमें ऐसे एक्सपर्टस् की सेवाएँ ली जाती हैं।

कहाँ से करें पर्यावरण सेक्टर से संबंधित कोर्स

देश और मध्यप्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों में पर्यावरण विज्ञान के विभिन्न कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें से उपयुक्तता के अनुरूप किसी गुणवत्तापूर्ण संस्थान में से उपयुक्त कोर्स का चयन करके अच्छे करियर की डगर पर आगे बढ़ सकते है। पर्यावरण विज्ञान का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान हैं।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)