अध्ययन में कहा गया है कि वर्तमान जी-20 अध्यक्ष भारत ने अच्छी प्रगति की है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 में स्वच्छ ऊर्जा के लिए समर्थन को बढ़ावा देते हुए 2014 से 2022 तक जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में 76 प्रतिशत की कटौती का उल्लेख किया गया है।
जी-20 देशों ने यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन की बढ़ती कीमतों का मुकाबला करने और ऊर्जा भंडार को मजबूत करने के उद्देश्य से 2022 में जीवाश्म ईंधन का समर्थन करने के लिए अपने कोष से 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 116 लाख करोड़ रुपये) का पब्लिक फंड आवंटित किए हैं। एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। विन्निपेग (कनाडा) के स्वतंत्र थिंक टैंक 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट' (आईआईएसडी) और साझेदारों द्वारा किया गया यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है जब जी-20 नेता नई दिल्ली में नौ से 10 सितंबर को होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। वर्तमान में जी-20 अध्यक्ष भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए समर्थन बढ़ाते हुए 2014 से 2022 के बीच जीवाश्म ईंधन रियायत में 76 प्रतिशत की कटौती की। अध्ययन में कहा गया है कि यह भारत को इस मुद्दे पर नेतृत्व करने के लिए मजबूत स्थिति में रखता है। अध्ययन के अनुसार, 14 सौ अरब अमेरिकी डॉलर की अप्रत्याशित राशि में जीवाश्म ईंधन सब्सिडी (एक हजार अरब अमेरिकी डॉलर), देश के स्वामित्व वाले उद्यम निवेश (322 अरब अमेरिकी डॉलर) और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों द्वारा उधार दिया गया धन (50 अरब अमेरिकी डॉलर) शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि यह कुल राशि 2019 में कोविड-19 महामारी और ऊर्जा संकट से पहले की स्थिति की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।