यकीनन कोविड-19 के दौर में देश में फार्मेसी सेक्टर में करियर के मौके छलांगे लगाकर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। कोरोना संकट के समय भारत का फॉर्मा उद्योग पूरी दुनिया के लिए एक संपत्ति की तरह दिखाई दिया है। लॉकडाउन के दो महीनों अप्रैल और मई 2020 में भारत ने अमेरिका, रूस, जर्मनी, इंग्लैंड और ब्राजील सहित दुनिया के 120 से अधिक देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी कई दवाइयों का निर्यात करके दुनिया की नई फॉर्मेसी के रूप में पहचान बनाई है।
भारत के फार्मेसी सेक्टर में बढ़ता विदेशी निवेश
कोविड-19 की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अफरा-तफरी है और चीन में निवेश करने वाली कंपनियां इसके विकल्प की तलाश में है। ऐसे में सरकार ने पहले से ही जिस फॉर्मा सेक्टर में विदेशी कंपनियाँ भारत में काम कर रही है उस फार्मा सेक्टर को देश में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रमुखतया 10 सेक्टरों में और अधिक सुविधाओं के लिए शामिल कर लिया है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण चीन के प्रति नाराजगी से चीन में कार्यरत कई वैश्विक दवाई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियाँ अपना काम चीन से बाहर स्थानांतरित हुई हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा वैश्विक फार्मा मैन्युफैक्चरिंग और निर्यातक कम्पनियों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए घोषित नई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम जैसी कई योजनाओं से कई फार्मा कंपनियों ने भारत की ओर भी कदम बढ़ाए है। साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ साझेदारी में 3 मेगा बल्क ड्रग पार्क हेतु 3 हजार करोड़ रु. स्वीकृत किए हैं। इन सबके कारण फॉर्मा सेक्टर में युवाओं के लिए चमकीले रोजगार अवसर बढ़ गए हैं।
भारत में 40 अरब डॉलर से अधिक का है फॉर्मा सेक्टर
यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि भारतीय दवा उद्योग मात्रा के आधार पर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में भारतीय फॉर्मा उद्योग का कारोबार करीब 40 अरब डॉलर से अधिक का है। भारत अकेला एक ऐसा देश है जिसके पास अमेरिकी दवा नियामक यूएसएफडीए के मानकों के अनुरूप अमेरिका से बाहर सबसे अधिक संख्या में दवा बनाने के प्लांट हैं। विकासशील देशों के लिए दवाओं की लागत कम करने में भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई है। भारत विश्व को सबसे अधिक जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराने वाला देश है।
फॉर्मा सेक्टर में करियर के विभिन्न आयाम
गौरतलब है कि फार्मेसी दवाइयों से संबंधित ऐसा क्षेत्र है, जिसमें नई-नई दवाइयों के आविष्कार से लेकर उनकी गुणवत्ता, रखरखाव और मात्रा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। यदि हम फार्मेसी में करियर के चमकीले मौकों के विभिन्न क्षेत्रों की ओर देखें तो पाते हैं कि ये मौके ड्रग मैन्युफैक्चरिंग, ड्रग रिसर्च, ड्रग मार्केटिंग, फार्माकोविजिलेंस, हॉस्पिटल फार्मेसी और रिसोर्स मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों में छलांगे लगाकर बढ़ रहे हैं। औषधि निर्माण का कार्य अत्यंत प्राचीनकाल से चला आ रहा है। यह कार्य प्रशिक्षित और कुशल व्यक्तियों द्वारा ही किया जा सकता है। इस कार्य की माँग हमेशा से बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि आधुनिक दवा उद्योग जिसका बड़ा हिस्सा एलोपैथिक दवाओं का है लगभग 100 वर्ष पुराना है। इस दवा उद्योग के विस्तार की काफी संभावनाएँ हैं। भारत सरकार ने 1948 में निर्मित फार्मेसी कानून के तहत भारतीय फार्मेसी काउंसिल का गठन किया है, जो एक वैधानिक संस्था है । यह काउंसिल फार्मासिस्टों के प्रशिक्षण के लिए न्यूनतम स्तर तय करनी है जो पूरे देश में एक समान रूप से लागू होता है। फार्मेसी, स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें औषधि या दवा के आविष्कार, उत्पादन, विकास एवं वितरण संबंधी कार्यों की देखभाल की जाती है। इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति चिकित्सक, दंत चिकित्सक या पशु चिकित्सकों द्वारा सुझाई गई दवाएँ लोगों को देते हैं। दवा, मरहम-पट्टी या स्वास्थ्य संबंधी सामग्रियों को बेचने का कार्य भी इन्हीं के जिम्मे होता है। अस्पतालों के अन्दर भी फार्मेसी वालों की भूमिका महत्वपूर्ण है। नुस्खे के आधार पर खास रोगों के लिए खास दवा तैयार करना, प्रत्येक रोगी को दी जा रही दवा-प्रणाली की निगरानी करना, दवा की उपलब्धता बनाए रखना, मेडिकल एवं फार्मेसी के इंटर्नस, नर्स तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को दवा-संबंधी जानकारी देना इत्यादि कुछ विशिष्ट कार्य ऐसे हैं जो फार्मेसी क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति ही कर सकता है।
फार्मासिस्ट के रूप में करियर
अब औषधीय कंपनियों को ऐसे विशेषज्ञ व्यावसायिकों की आवश्यकता है जो वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों। एक कुशल फार्मासिस्ट को दवा बनाते समय यह जानकारी रखनी पड़ती है कि अमूक औषधि के निर्माण में क्या-क्या और कितनी-कितनी मात्रा मिलानी चाहिए। अस्पतालों में फार्मासिस्ट का काम डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाएँ तैयार कर मरीजों को देने का भी होता है। उसे मरीजों को यह भी समझाना होता है कि कौनसी दवा उपयोग करते समय क्या-क्या सावधानियाँ बरती जानी चाहिए, दवा कब और कैसे ली जाए इत्यादि। दवा तथा दवा बनाने वाली सामग्रियों को किस प्रकार सुरक्षित रखा जा सकता है, यह भी एक फार्मासिस्ट का ही कार्य क्षेत्र होता है। यह भी उल्लेखनीय है दवाई की दुकान शुरू करने और उसे चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने हेतु फार्मेसी की डिग्री जरूरी है।
फार्मेसी मार्केटिंग में करियर
वस्तुतः औषधीय विपणन कार्य उपभोक्ता वस्तुओं के विपणन से सर्वथा भिन्न प्रकृति का होता है। औषधीय क्षेत्र में विपणन का कार्य चिकित्सकों तथा केमिस्टों के माध्यम से किया जाता है। अत: यह काम काफी चुनौतीपूर्ण है और इसमें विशेष कौशल तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। क्योंकि एक तरफ उन्हें उच्च प्रशिक्षित चिकित्सकों से तथा दूसरी ओर दवा व्यापारियों से निरंतर संपर्क करना होता है। यह एक सतत व्यावसायिक क्षेत्र है तथा इस क्षेत्र में सदैव रोजगार के अवसर उपलब्ध रहते हैं।
फॉर्मा इंस्पेक्टर के रूप में करियर
दवाओं का न केवल प्रभावी होना अपेक्षित होता है बल्कि यह सुरक्षित और गुणवत्ता आश्वासन से परिपूर्ण भी होनी चाहिए। सुरक्षा, गुणवत्ता तथा प्रभावोत्पादकता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दवाइयों के निर्माण से बिक्री तक का संपूर्ण औषधीय परिदृश्य केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के द्वारा लाइसेंसिंग और निरीक्षण प्रक्रिया के माध्यम से विनियमित किया जाता है। औषधीय स्नातक सरकारी सेवा में औषधि निरीक्षक के रूप में सामान्यत: राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं।
फार्मा केमिस्ट के रूप में करियर- विनिर्माण केमिस्ट के सक्रिय निर्देशन तथा व्यक्तिगत पर्यवेक्षण में दवाइयों का निर्माण किया जाता है। औषधियों के विनिर्माण कार्य की देखरेख से जुड़ा यह रोजगार बहुत ही रोचक और जिम्मेदारीपूर्ण है। विनिर्माण केमिस्ट के लिए वर्क्स मैनेजर या फैक्टरी प्रबंधक जैसे सर्वोच्च पद पर पदोन्नति की उजली संभावनाएँ होती हैं।
क्वालिटी कंट्रोलर केमिस्ट के रूप में करियर- राष्ट्रीय या अन्य स्वीकृत औषध संग्रह में विनिर्दिष्ट मानदंडों के अनुरूप औषधीय उत्पादों की गुणवत्ता हेतु उत्पादों के नमूनों की जाँच का कार्य किया जाता है। स्नातक और साथ में औषधियों के विश्लेषण तथा अत्याधुनिक उपकरणों के संचालन में अभिरुचि रखने वालों के लिए इस क्षेत्र में उजले अवसर हैं।
गर्वमेंट फॉर्मेसी एनेलिसिस्ट के रूप में करियर- विनिर्माण इकाइयों के अथवा खुदरा औषधि भंडार से लिए गए औषधियों के नमूनों की सरकारी औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में जाँच की जाती है। स्नातक फार्मासिस्ट इन सरकारी प्रयोगशालाओं में सरकारी विश्लेषक के रूप में कार्य करते हैं। इन फार्मासिस्टों को सरकारी विश्लेषक या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में दवाओं के परीक्षण से संबंधित प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है।
फार्माकोविजिलेंस में करियर
उल्लेखनीय है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में नकली दवाओं तथा कम गुणवत्ता वाली दवाओं का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहा है कि इन नकली दवाओँ तथा कम गुणवत्ता वाली दवाओं का खतरा सबसे ज्यादा भारत जैसे विकासशील देशों में है जहाँ दवाओं के कारोबार पर नियम कानून का पहरा बहुत मामूली या है ही नहीं। नकली दवाओं तथा कम गुणवत्ता वाली दवाओं को बाजार में आने से रोकने तथा दवाओं के नियमन से जुड़ा फार्माकोविजिलेंस इस समय एक उभरता हुआ चमकीला करियर क्षेत्र बन गया है। उल्लेखनीय है कि फार्माकोविजिलेंस के अंतर्गत दवाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जाता है। नकली दवाओं की पहचान करना, मरीजों पर पड़ रहे दवाओं के असर को पहचानना, उसको मापना, उसकी पुष्टि करना, दवाओं की उपलब्धता, उसका विपणन, प्रयोग, दवाओं का नियमन आदि फार्माकोविजिलेंस के अंतर्गत आते हैं।
हमारे देश में नकली दवाओं के साथ ही दवाइयों की क्वॉलिटी भी एक बहुत बड़ा इश्यू है। लोगों में अवेयरनेस की कमी और सुस्त सिस्टम होने के कारण बीमारी होने पर हमें कभी कभार ऐसी दवाइयाँ लेनी पड़ती हैं जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरतीं हैं । इन कमियों को दूर करने के लिए सरकार के साथ- साथ दवा कंपनियां भी कई रेग्युलेटर्स का इस्तेमाल करती है। जो दवा के इफेक्ट्स को ऑब्जर्व करने में एक्सपर्ट होते हैं और उसके बेसिस पर कंपनियों को फीडबैक देते हैं। ऐसे एक्सपर्ट्स को हम फार्माकोविजिलेंटर्स के नाम से भी जानते हैं।
फार्मेसी में करियर के लिए जरूरी स्किल्स
निसंदेह फार्मेसी सेक्टर में करियर के चमकीले मौके हैं और ये मौके कोविड-19 के बाद और तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं। जो स्टूडेंट्स फार्मेसी के विभिन्न क्षेत्रों में करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए विशेष स्किल्स जरूरी हैं। वे लाइफ साइंस व फार्मेसी के प्रति गहरी रूचि रखते हों। फार्मेसी से जुड़े रिसर्च के क्षेत्र में काम करने के लिए उनकी अच्छी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ विश्लेषण क्षमता बेहतर होना जरूरी है, फार्मेसी मार्केटिंग क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर होनी जरूरी है।
फार्मेसी में करियर के लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यताएँ
निश्चित रूप से फार्मेसी की अच्छी डिग्री और फॉर्मा सेक्टर में दक्षता के बाद देश ही नहीं, दुनियाभर में चमकीला करियर बनाया जा सकता है। फार्मेसी में करियर बनाने के लिए स्टूडेंट के द्वारा 10वीं के बाद बायोलॉजी, फिजिक्स, केमेस्ट्री ग्रुप या मैथ्स, फिजिक्स, केमेस्ट्री का ग्रुप लिया जाना चाहिए। इसके बाद दो वर्ष का फार्मेसी में डिप्लोमा (डी फार्मा) या फिर चार वर्ष का बैचलर ऑफ फार्मेसी (बी फार्मा) किया जा सकता है। इसके बाद दो वर्ष का मास्टर इन फार्मेसी (एम फार्मा) किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश एवं देश के विभिन्न फार्मेसी से सम्बद्ध शैक्षणिक संस्थाओं में फार्मेसी में डिप्लोमा, डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स उपलब्ध हैं। उपयुक्तता के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक संस्थान का चयन करके फार्मेसी के क्षेत्र में करियर की डगर पर आगे बढ़ा जा सकता है।