अब डिजिटल स्किल्स के साथ लायब्रेरी साइंस में बढ़े हैं करियर के मौके

अब डिजिटल स्किल्स के साथ लायब्रेरी साइंस में बढ़े हैं करियर के मौके

अगर आपको पुस्तकें पढ़ने और सहेजने का शौक है तो लाइब्रेरी साइंस का करियर आपके लिए एक रोमांचक करियर विकल्प होगा. सूचना क्रांति के वर्तमान व्यापक विस्तार के दौर में भी, भले ही गूगल ने जानकारियों को मोबाइल स्क्रीन के सहारे उंगलियों पर ला दिया हो लेकिन व्यवस्थित एवं सहज ढंग से ज्ञान प्राप्त करने का एकमात्र विकल्प आज भी पुस्तकें ही हैं। अगर किसी विशेष विषय पर हम अपनी जानकारी,अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं, तो पुस्तकों का आश्रय अनिवार्य है।

पुस्तकालयों द्वारा प्रदत्त सेवाओं को अब वर्तमान में उसकी सूचना सेवाओं की भूमिका के रूप में परंपरागत प्राचीन पुस्तकालय कार्यों से मिश्रित करते हुए पुस्तकालय और सूचना सेवाएँ के नाम से पुकारा जाने लगा है। शिक्षा के प्रसार, अनुसंधान गतिविधियों के तीव्रीकरण तथा रिकॉर्डेड ज्ञान के उत्पादन में त्वरित वृद्धि ने पुस्तकालयों के विस्तार और उनकी सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी ने भी सूचना सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। इस विषय क्षेत्र से दो अन्य शब्द जैसे कि डॉक्यूमेंटेशन तथा सूचना भंडारण और सुधार भी जुड़ गए हैं। अत: पुस्तकालयों के अलावा अब प्रलेखन केंद्र और सूचना केंद्र भी काम कर रहे हैं। विभिन्न नामों का प्रयोग होने के बावजूद इस विषय क्षेत्र में जरूरतमंदों के लिए सूचना सेवाएँ उपलब्ध होती हैं। इन पुस्तकालयों के प्रबंधन के लिए अच्छी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताएँ रखने वाले व्यक्तियों की सदैव माँग बनी रहती है।

इसमें कोई दोमत नहीं है कि परंपरागत पुस्तकालयों की बात करें तो हमारे मन में भारी भरकम अलमारियों या रैक में सजी किताबों के बीच बैठे किसी पुस्तकालयाध्यक्ष (लाइब्रेरियन) की तस्वीर उभरती है जिसके पास किताबों का ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज होता था और संदर्भ के लिए किताबें ढूंढने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन इंटरनेट के युग में आज वही पुस्तकालय इन्फर्मेशन सेंटर के रूप में विस्तार पा चुके हैं। यानी आज पुस्तकालय का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है, बदलते जमाने के साथ उसने भी हाइटेक बाना पहन लिया है। पहले पुस्तकालय का स्वरूप केवल पुस्तकों के स्टोर रूम के रूप में होता था और पुस्तकालयाध्यक्ष का काम भी काफी सीमित होता था लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान दौर में पुस्तकालय का स्वरूप और पुस्तकालयाध्यक्ष का दायित्व तथा कार्यशैली पूरी तरह बदल गई है। पुस्तकालयाध्यक्ष के लिए कम्प्यूटर का ज्ञान अत्यावश्यक हो गया है। इसके अतिरिक्त इंटरनेट सर्चिंग और ऑनलाइन डाटा बेस का ज्ञान भी आवश्यक योग्यता हो गई है।

पुस्तकालय विज्ञान में प्रशिक्षित व्यक्ति अथवा लाइब्रेरियन का काम पाठकों की आवश्यकता तथा जिज्ञासा के अनुसार पुस्तकों की उपलब्धि को सुनिश्चित करवाना होता है. साथ ही वह इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि पुस्तकालय में रखी किताबें ठीक से एक क्रम में हो .जिससे पुस्तकालय आने वाले व्यक्तियों की पहुंच उस तक आसान हो. इसके साथ ही एक लाइब्रेरियन का काम होता है लाइब्रेरी में रखे गए अन्य सामग्रियों जैसे की पुस्तक पत्रिका तथा अन्य डिजिटल अध्ययन सामग्री को सही एवं सुरक्षित रखना तथा उनकी उपलब्धता को सुगम एवं अनिवार्य बनाना। लाइब्रेरियन का काम पाठकों की आवश्यकता तथा जिज्ञासा के अनुसार पुस्तकों तथा अन्य अध्ययन सामग्री की उपलब्धि को सुनिश्चित करवाना होता है.इसके अलावा पुस्तकालय के कुशल सञ्चालन हेतु कार्ययोजना एवं बजट तैयार करना भी उसके काम का अहम् हिस्सा है। सरल शब्दों में पुस्तकालय को उत्कृष्ट बनाने हेतु आवश्यक सभी कार्य ही एक पुस्तकालय विज्ञान में प्रशिक्षित व्यक्ति का कार्यक्षेत्र है।

पुस्तकालयाध्यक्ष बनने के लिए कई तरह की दक्षताओं और कार्यकुशलता की आवश्यकता होती है। तकनीक की व्यावहारिक समझ रखने के अलावा जरूरी है कि एक पुस्तकालयाध्यक्ष के पास संगठनात्मक पद्धति के अनुसार कार्य करने की क्षमता और उत्कृष्ट कम्युनिकेशन स्किल्स हो। जरूरी है कि वह अपने सहयोगियों के साथ शांतिपूर्ण व बेहतर ढंग से कार्य करते हुए सही सूचनाएँ एकत्र कर सके। जहाँ तक वेतनमान का सवाल है तो एक पुस्तकालयाध्यक्ष को उसकी योग्यता तथा पुस्तकालय के आकार एवं प्रकार के आधार पर भुगतान किया जाता है। भारत में एक स्कूल पुस्तकालयाध्यक्ष को टीचर के समकक्ष तथा कॉलेज पुस्तकालयाध्यक्ष को लेक्चरर के समकक्ष वेतन दिया जाता है।

गौरतलब है कि पुस्तकालय विज्ञान मात्र एक अकादमिक विषय क्षेत्र नहीं है। यह एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है जिसमें व्यावहारिक, प्रेक्षण तथा प्रायोगिक अध्ययन शामिल है। तेजी से उभरते इस पेशे की माँग को देखते हुए कई संस्थानों ने अपने पुस्तकालय विज्ञान कोर्स के माड्यूल में पेशेवर बदलाव लिए हैं, जैसे सूचनाओं की प्राप्ति के लिए कम्प्यूटर तकनीक का प्रयोग। पहले की पारंपरिक तकनीकों की तुलना में आज के दौर में पुस्तकालयाध्यक्ष कोर्स में आधुनिक तकनीक जैसे कि सूचना प्रबंधन व तकनीक, रिसर्च तकनीक, कैटलॉग और विभिन्न सेवाओं का वर्गीकरण आदि का समावेश हुआ है। पुस्तकालय विज्ञान में समय के साथ डाटा बेस मैनेजमेंट, इन्फर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे नए विषय क्षेत्र जुड़ गए हैं। भारत में ज्यादातर विश्वविद्यालय लाइब्रेरी और इन्फर्मेशन साइंस में बैचलर और मास्टर प्रोग्राम करवा रहे हैं। पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में उपलब्ध प्रमुख पाठ्यक्रम इस प्रकार हैं-

  • पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में प्रमाणपत्र (सीएलआईएससी) तथा पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाणपत्र (सीएलएससी) पाठ्यक्रम। इन पाठ्यक्रमों की अवधि 3 से 6 माह है तथा इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक या समकक्ष है।
  • पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में डिप्लोमा (डीएलआईएससी) तथा पुस्तकालय विज्ञान में डिप्लोमा (डीएलएससी) पाठ्यक्रम। इन पाठ्यक्रमों की अवधि एक वर्ष निर्धारित है तथा इन पाठ्यक्रमों हेतु शैक्षणिक योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण है।
  • पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में बैचलर डिग्री (बीएलआईएससी) तथा पुस्तकालय विज्ञान में बैचलर डिग्री (बीएलएससी) पाठ्यक्रम। इन पाठ्यक्रमों की अवधि तीन वर्ष है। इन पाठ्यक्रमों हेतु शैक्षणिक योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण है।
  • पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में मास्टर्स डिग्री (एमएलआईएससी) तथा पुस्तकालय विज्ञान में मास्टर्स डिग्री (एमएलएससी) पाठ्यक्रम। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु संबंधित क्षेत्र में स्नातक होना आवश्यक है।

इन पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में अन्य कई पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं। पुस्तकालय और सूचना विज्ञान के कुछ पाठ्यक्रम पत्राचार माध्यम से भी किए जा सकते हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लेक्चररशिप के लिए पात्रता के निर्धारण हेतु यूजीसी नेट का भी एक विषय है। यदि कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को एक शिक्षक के रूप में अपनाना चाहता है तो उसे पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान में यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। शिक्षण में रोजगार विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, बहुतकनीकी संस्थानों, आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध हैं। अपनी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताओं के अनुरूप आप इस व्यवसाय को एक पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में अपना सकते हैं। पुस्तकालय से जुड़े व्यवसाय में पद निम्न प्रकार हो सकते हैं- पुस्तकालयाध्यक्ष, प्रलेख अधिकारी, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष उप-पुस्तकालयाध्यक्ष, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, ज्ञान अधिकारी, सूचना कार्यकारी, सूचना विश्लेषक आदि। देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन के कारण भी इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिए कार्पोरेट जगत में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। इसके अतिरिक्त सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में भी अपार संभावनाएँ हैं। पुस्तकालय विज्ञान के प्रोफेशनल्स पुस्तकालयों के अतिरिक्त बुक पब्लिशर वर्कर, चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर, कन्टेंट मैनेजर, डाटा बेस एडमिनिस्ट्रेटर, इन्फर्मेशन ब्रोकर और वेबमास्टर आदि पदों पर काम करते हुए अच्छी तनख्वाह पा सकते हैं।

अधिक संख्या में लोग स्कूल कॉलेज में दाखिला ले रहे हैं और ज्ञानार्जन कर अपनी जिंदगी को संवार रहे हैं। स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालय तथा निजी संस्थानों का विस्तार हो रहा है। तो इसके साथ ही सामानांतर रूप से बढ़ रही है लाइब्रेरी साइंस में रोजगार की संभावनाएं भी स्कूल कॉलेज शिक्षण संस्थाओं के अलावा भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा स्थापित बड़े-बड़े निकाय सहित भिन्न-भिन्न कंपनियों तथा जिला एवं राज्य स्तर पर भी पुस्तकालयों की व्यवस्था रहती है।

लाइब्रेरी साइंस में पढ़ाई करने के बाद आप विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों में नौकरी पा सकते हैं. यहाँ आप अपनी योग्यतानुसार लाइब्रेरी अटेंडेंट से लेकर लाइब्रेरी हेड अथवा पुस्तकालय अध्यक्ष के पद तक पहुंच सकते हैं. लाइब्रेरी साइंस की पढ़ाई करने के बाद डिग्री अथवा सर्टिफिकेट कोर्स के अनुसार आप लाइब्रेरी अटेंडेंट, जूनियर लाइब्रेरियन, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, डिप्टी लाइब्रेरियन, लाइब्रेरियन, लाइब्रेरियन कंसलटेंट, रेफरेंस लाइब्रेरियन इंफॉर्मेशन एनालिस्ट सहित अन्य पदों पर भी काम कर सकते हैं।

सूचना तकनीक के विस्तार के फलस्वरूप एक लाइब्रेरी साइंस के जानकार विद्वान व्यक्ति के तौर पर इंफॉर्मेशन रिसोर्सेज स्पेशलिस्ट,रिसर्चर(researcher) ,मेटा-डेटा एनालिस्ट( meta data analyst) तथा डॉक्यूमेंट राइटर के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं।

इसके अलावा इनफार्मेशन एंड डॉक्यूमेंटेशन सेंटर तथा बड़े बड़े पब्लिशिंग हाउस में भी रोजगार की संभावना है।