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यकीनन इस समय मूर्तिकला यानी स्कल्पचर में करियर का नया दौर निर्मित हुआ है। अयोध्या के नवनिर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जहाँ रामकथा और पौराणिक कथाओं-प्रसंगों पर आधारित भव्य मूर्ति सबका ध्यान खींच ही रही हैं। वहीं इसे गढ़ने वाले मूर्तिकार की भी चर्चा देश ही नहीं दुनियाभर में हो रही है। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में पहली बार भव्य हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया था। यह मंदिर 3 मार्च से आम जनता के लिए खोला गया है। मंदिर खुलने के पहले दिन ही यहां 65 हजार से ज्यादा लोगों ने दर्शन, पूजा-अर्चना की तथा मंदिर में स्थापित भव्य मूर्तियों की मूर्तिकला की सरहाना की। ऐसे में न केवल देश में वरन दुनियाभर में चारों ओर सनातन धर्म पर आधारित मूर्तियों की मांग बढ़ने की संभवनाओं का अभूतपूर्व दौर निर्मित हुआ है।
मूर्तिकला के क्षेत्र में छलांगे लगाकर बढ़ रहे हैं करियर के मौके
निसंदेह कल तक मूर्तिकला के क्षेत्र में अच्छे करियर के जो मौके सीमित संख्या में हुआ करते थे। वे आज छलांगे लगाकर बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। देश-दुनिया में आज ऐसे तमाम मूर्तिकार हैं, जो अपने हुनर के बल पर कला जगत में न केवल लोकप्रिय हैं, बल्कि अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं। मिट्टी, लकड़ी, धातु, संगमरमर या पत्थरों से बनी तमाम तरह की मूर्तियों और इनके मॉडल की बढ़ती उपयोगिता के चलते मूर्तिकला का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। वस्तुतः मूर्तिकला सदियों पुरानी कला है। इतिहास को देखें, तो ऐसा कभी नहीं था कि यह विलुप्त रही हो। लेकिन अब यह समय मूर्तियों और मंदिरों की बढ़ती मांग का समय है। ऐसे में मूर्तिकला में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए इसमें करियर के अवसर भी बढ़ रहे हैं। मूर्तिकला के बढ़ते रुझान से शहरों में ही नहीं छोटे-छोटे गाँवों में भी युवाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़ गए है। खासतौर से वे स्टूडेंट्स जिनकी चित्रकारी में रुचि है, पेंटिंग बनातें है और वे आगे बड़ा कलाकार बनने की संभावनाएँ रखते हैं उन्हें मूर्तिकला के करियर की डगर पर अच्छे मौकों की पूरी संभावनाएँ हैं। न केवल मंदिरों की मूर्तियों को बनाने में वरन मंदिरों में शिखर व गुंबद के निर्माण में भी मूर्तिकला से जुड़े लोगों के लिए रोजगार के प्रचुर मौके हैं। यदि मूर्तिकला के साथ वास्तुकला की समुचित जानकारी प्राप्त करके इस क्षेत्र में आगे बढ़ा जाए तो अच्छे करियर की संभावनाएं और बढ़ जाती है।
मूर्तिकला में करियर की स्किल्स
ऐसे स्टूडेंट्स जो किस न किसी कला में निपुर्ण होते है और कौशल, धैर्य, क्रिएटिविटी रचनात्मकता के गुण रखते है और अपने पैशन को प्रोफेशन में बदलना चाहते हैं। उनके लिए मूर्तिकला में करियर संभावनाओं के नए द्वार खोल देता है। मूर्तिकला के करियर की स्किल्स रखने वाले स्टूडेंट्स विजुअल आर्ट्स के एक विषय मूर्तिकला में करियर के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
मूर्तिकला में करियर संभावनाएं-
निश्चित रूप से मूर्तिकला में विशेषज्ञता प्राप्त करने वालों के लिए इस नए दौर में नए करियर अवसर लगातार बढ़ रहे हैं मूर्तिंयों को न केवल उच्च वर्ग के लोग, वरन् मध्यम व निम्न वर्ग के लोग भी अपने घरों में इंटीरियर डेकोरेशन के लिए तमाम तरह की मूर्तियों और शिल्पकला कृतियों को लगाना पसंद कर रहे हैं। मूर्तिकला में प्रशिक्षित लोगों के लिए मूर्तिकारों के अलावा भी कई रूपों में अवसर देखे जा रहे हैं। सबसे अधिक अवसर मोशन पिक्चर स्कल्पचर, स्टूडियो आर्टिस्ट, थ्रीडी माडलर, माडल मेकर, टॉयशॉप, एग्जिबिशन, डिजाइनर, फाइन आर्ट, गेमिंग कंपनी, कंसल्टेंट, इंडस्ट्रियल डिजाइनर, फाइन आर्टिस्ट, आर्ट डायरेक्टर तथा आर्ट/क्राफ्ट टीचर तथा प्रोफेंसर के रूप में भी अवसर उपलब्ध हैं। बड़े-बड़े म्यूजियम तथा कल्चरल कंजर्वेंश सेटर्स में भी अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। मूर्तिकला में कुशलता प्राप्त करके खुद की आर्ट गैलरी/स्टूडियो भी शुरू की जा सकती है। मूर्तिकला के इस क्षेत्र में अवसर केवल मूर्तिकारों के लिए ही नहीं बढ़े हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो बहुत सारे दूसरे क्षेत्रों में भी अवसर खोल रहा हैं। इनमें सैनिटरी डिजाइनिंग, कार डिजाइनिंग, फर्नीचर डिजाइनिंग, फिल्म इंडस्ट्री आदि प्रमुख है।
मूर्तिकला के कोर्स एवं योग्यता
मूर्तिकला के क्षेत्र में करियर के लिए शिक्षा व प्रशिक्षण दोनों जरूरी है। आर्ट एंड क्राफ्ट को पंसद करने वाले छात्रों के लिए डिप्लोमा इन मूर्तिकला या स्कल्पचर एक बेहतरीन कोर्स है। इस कोर्स की अवधि 2 साल की है। जिसे कक्षा 12वीं के बाद किया जा सकता है। इस कोर्स को विजुअल आर्ट्स में रखा जाता है। इस कोर्स में छात्रों को मूर्ति निर्माण की तकनीकों के बारे में सीखाया जाता है। इस कोर्स में छात्रों को कला का इतिहास, ड्राइंग, मॉडलिंग, डिजाइंनिंग और स्कल्पचर की बुनियादी पहलू से लेकर एडवांस लेवल तक की जानकारी दी जाती है। फाइन आटर्स (बीएफए) कोर्स देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थानों में संचालित हो रहा है। फाइन आटर्स में म्यूजिक, पेटिंग, स्कल्पचर जैसे स्पेशलाइजेशन कोर्स कर सकते हैं। किसी भी स्ट्रीम से 12वीं उत्तीर्ण छात्र इसे कर सकते हैं। यह तीन से चार साल की अवधि का कोर्स है। इसके बाद मास्टर डिग्री के रूप में एमएफए और उसके बाद पीएचडी कर सकते हैं।
डिग्री के साथ मूर्तिकला के तकनीकी अध्ययन की अहमियत
यह बात महत्वपूर्ण है कि मूर्तिकला का महत्व न केवल मंदिरों की मूर्तियाँ बनाने के लिए बढ़ रहा है, वरन् सार्वजनिक स्थानों पर खुबसूरत स्टेच्यू बनाने और अपने घरों में सजावट के लिए भी लोगों में मूर्तियों के प्रति मोह बढ़ रहा है, जिसने विभिन्न तरह की मूर्तियों की मांग में काफी इजाफा किया है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दो दशकों में मूर्तियां बनाने वालों की संख्या लगभग 15-20 गुना बढ़ी है। इनमें पारंपरिक रूप से मूर्ति बनाने का काम करने वाले करीब पांच प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में डिग्री के साथ मूर्तिकला के तकनीकी अध्ययन की अहमियत बढ़ गई है। युवाओं के लिए मूर्तिकला स्वरोजगार का अच्छा जरिया बन सकती है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 20 वर्षों में भारतीयों मूर्तिकारों द्वारा निर्मित कंटैम्परेरी (समकालीन) मूर्तियों की मांग हमारे देश के बाजारों में करीब आठ प्रतिशत और विदेशी बाजारों में 30 प्रतिशत तक बढ़ी है। जबकि पारंपरिक मूर्तियों की मांग स्थानीय बाजारों में तकरीबन 25 प्रतिशत और विदेशी बाजारों में 40 प्रतिशत बढ़ी है।
मूर्तिकला में करियर के लिए आगे बढ़ें
यह बात महत्वपूर्ण है कि मूर्तिकला से संबंधित डिप्लोमा और बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स इन स्कल्पचर (बीएफए) कोर्स मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में उपलब्ध है। यदि आप मूर्तिकार बनने के स्किल्स से सुसज्जित हैं तो आप अपनी उपयुक्तता और क्षमता के अनुरूप किसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संस्थान से मूर्तिकला की उपयुक्त डिग्री व नई तकनीकों से परिपूर्ण कौशल प्रशिक्षण लेकर मूर्तिकला के करियर के नए दौर में आगे बढ़िए।