सातवें टाइगर रिजर्व से देश में नंबर वन मध्यप्रदेश

चीतों की बसाहट को भी मुफीद होगा यह रिजर्व, जैवविविधता में समृद्ध क्षेत्र प्रदेशवासियों के लिए खुशखबर है। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में एक और टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आ गया। सागर के नौरादेही और दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर राज्य सरकार ने प्रदेश में नया टाइगर रिर्जव बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसी के साथ अब मध्यप्रदेश देश में 7 टाइगर रिजर्व वाला पहला प्रदेश बन गया, जबकि देश में टाइगर रिजर्व की संख्या 54 हो गई।

यहां जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा, चीतल, सांभर जैसे बड़े शाकाहारी जीव हैं, जो बाघों का मुख्य आहार हैं। यह विंध्य पर्वतमाला के नजदीक पठारी हिस्सा है। यहां मिश्रित और छिछले वन हैं। 49 से ज्यादा प्रजातियों की झाड़ियां, 18 प्रकार की बेल-लताएं, 92 प्रजातियों के वृक्ष और 35 से ज्यादा प्रकार की घास पाई जाती है। यहां महुआ, करंज, बेल, खैर, तेंदू के वृक्षों की बहुतायत है। खुले जंगल और घास के बड़े मैदान होने से यहां तेंदुआ, भेड़िया, जंगली कुत्ते जैसे वन्यप्राणियों के अलावा 250 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी, जलचर, उभयचर और शाकाहारी-मांसाहारी जीव और वनस्पतियां भी हैं, जो इस क्षेत्र को जैव विविधता में समृद्ध बनाता है। यहां करीब 22 तेंदुए हैं। बता दें कि अभी सभी छह टाइगर रिजर्व मिलाकर 4773.68 वर्ग किमी कोर जोन में तो 5400.6 वर्ग किमी बफर जोन में हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना में पर्यावरणीय मंजूरी के लिए नया टाइगर रिजर्व बनाना था। प्रधानमंत्री के 5 अक्टूबर के दौरे से पहले इसके गठन को मंजूरी दे दी गई। इसे चीता प्रोजेक्ट के लिए भी मुफीद माना जा रहा है। भविष्य में यहां भी चीतों की शिफ्टिंग की जा सकती है। अब तक मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में 6-6 टाइगर रिजर्व थे। अब मप्र में 7 हो गए। बाघों की संख्या 785 है। पांच टाइगर रिजर्व के साथ कर्नाटक में दूसरे नंबर पर था।