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विदेश व्यापार और आयात-निर्यात व्यापार में करियर का नया दौर


यकीनन दुनिया में जैसे-जैसे वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) आगे बढ़ा है और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों की संख्या बढ़ती गई है, वैसे-वैसे विदेश व्यापार और आयात-निर्यात व्यापार की ऊँचाई बढ़ती गई है। दुनिया में डिजिटलीकरण ने विदेश व्यापार को पंख लगा दिए हैं। वस्तुतः अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आयात-निर्यात व्यापार में राष्ट्रीय सीमाओं के पार का व्यापार है। इसमें दुनिया के विभिन्न देशों में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद या बिक्री शामिल है। यह विदेश व्यापार महज पैसे या भौतिक उत्पादों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई अन्य संसाधनों का हस्तांतरण भी शामिल है, जिसे सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) कहते हैं। इसमें आईटी सेवाएं, बौद्धिक संपदा, पेटेंट, कॉपीराइट, ब्रांड ट्रेडमार्क आदि शामिल है।

विदेश व्यापार के उभरते तीन क्षेत्रों में करियर

विदेश व्यापार के तहत प्रमुखतया तीन करियर सेक्टर ऊँचाई पर हैं एक, आयात निर्यात में सोर्सिंग पार्टनर दो, विदेश व्यापार मार्केटिंग और तीन, विदेश व्यापार रिलेशनशिप एक्सपर्ट। भारत में निर्यात व्यवसाय के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है विदेश व्यापार माल का स्रोत बनाना, दूसरे के माल का निर्यात करने वाले निर्यातकों का प्रतिशत अपने स्वयं के उत्पादित तथा निर्मित माल का निर्यात करने वाले निर्यातकों के प्रतिशत से कहीं अधिक है। भारत में निर्यात की सामान्य प्रथा में निर्यातक सीधे अच्छे उत्पादकों से सोर्सिंग करता है या सोर्सिंग पार्टनर्स से प्राप्त करता है। सोर्सिंग पार्टनर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें संभावित निर्यातकों को निर्माताओं या डीलरों या गुणवत्ता वाले सामान के उत्पादकों से जोड़ना शामिल है।

विदेश व्यापार मार्केटिंग में मौके

विदेश व्यापार में करियर का दूसरा महत्वपूर्ण सेक्टर मार्केटिंग के रूप में है। किसी विशेष उत्पाद को निर्यात करने के लिए विस्तृत ज्ञान और अध्ययन होना महत्वपूर्ण है। किसी उत्पाद की अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्या मांग है, उस उत्पाद की मांग किन देशों में सबसे ज्यादा है, किस गुणवत्ता की उम्मीद है, हर देश में कीमतें क्या हैं आदि जानना निर्यात व्यवसाय के शुरुआती स्तर को स्थिर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर हैं। विदेश व्यापार विपणन विशेषज्ञ से तात्पर्य एक ऐसे विशेषज्ञ से है जिसने निर्यात की सही नब्ज पकड़ ली है।

विदेश व्यापार रिलेशनशिप एक्सपर्ट के क्षेत्र में करियर

विदेश व्यापार में करियर का तीसरा अहम सेक्टर रिलेशनशिप एक्सपर्ट के रूप में है। अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों के साथ-साथ निर्यात भागीदारों के साथ अच्छे संबंधों और दीर्घकालिक संबंधों वाले निर्यातकों को सुविधा प्रदान करना एक दुर्लभ कौशल है जिसकी भारतीय बाजार में बड़ी मांग है। अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए एक कुशल रिलेशनशिप विशेषज्ञ निर्यातकों की मदद कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की स्थिति और बढ़ते मौके

यद्यपि दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत का योगदान अभी दो फीसदी से भी कम है, लेकिन भारत का वैश्विक व्यापार बढ़ने का परिदृश्य स्पष्ट रेखांकित हो रहा है, जहाँ भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में गुड्स एंड सर्विस एक्सपोर्ट में 676 अरब डॉलर मूल्य का रिकार्ड निर्यात किया था,वहीं वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से निर्यात 750 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की ऊँचाई पर पहुँचने की उम्मीद है। वर्ष 2030 तक भारत का गुड्स एंड सर्विस एक्सपोर्ट 2,000 अरब डॉलर यानी 2 लाख करोड़ डॉलर के पार तक पहुंच सकता है।

भारत से निर्यात में नए करियर अवसर

निसंदेह देश निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक आर्थिक संकट और वैश्विक निर्यात चुनौतियों के बीच भी भारत से निर्यात बढ़ रहे हैं। इस समय भारत के तेजी से बढ़ते निर्यातों का ग्राफ इस बात का प्रतीक है कि भारतीय उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है । यदि हम उत्पाद निर्यात के नए आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि प्रमुख रूप से अमेरिका, यूएई, चीन, बांग्लादेश व नीदरलैंड को भी बड़े पैमाने पर निर्यात किए गए हैं। निर्यात उत्पादों के मद्देनजर पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चमड़ा, कॉफी, प्लास्टिक, रेडीमेड परिधान, मांस एवं दुग्ध उत्पाद, समुद्री उत्पाद और तंबाकू की निर्यात वृद्धि में अहम भूमिका रही है। साथ ही उच्च इंजीनियरिंग निर्यातों, परिधान और वस्त्र निर्यात आदि से संकेत मिलते हैं कि यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है कि भारत प्राथमिक जिंसों का ही बड़ा निर्यातक है। अब भारत के द्वारा अधिक से अधिक मूल्यवर्धित और उच्च गुणवत्ता वाले सामानों का निर्यात भी किया जा रहा है।

भारत से कृषि निर्यात में मौके

यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत विश्व पटल पर कृषि निर्यात के नए उभरते हुए देश के रूप में उपस्थिति दर्ज करते हुए मानवता के आधार पर दुनिया के जरूरतमंद देशों के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रहा है। भारत से खाद्य पदार्थों अनाज, गैर-बासमती चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के अलावा फलों एवं सब्जियों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। कृषि एवं प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक खाद्य उत्पादों का निर्यात 30 अरब डॉलर से अधिक है, कृषि क्षेत्र में ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया है। गहराई से कृषि निर्यात परिदृश्य का अध्ययन करने के बाद कृषि निर्यात से सुधार के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं। कृषि रिकॉर्ड स्तर पर दिखाई दे रहा है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है। देश के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से अधिक हो गयी ।

भारत से सेवा निर्यात में करियर की ऊँचाई

खास बात यह है कि कोविड-19 के कारण भारत के सेवा निर्यात में महत्पूर्ण वृद्धि हुई हैं। कोविड-19 के बाद दो साल में कुल आईटी सेवाओं के निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। कोविड-19 ने अधिकांश उद्योगों को डिजिटल निवेश और मल्टी-चैनल व्यवसाय में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया और कंपनियों के बैक-एंड प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को ज्यादा बेहतर और अनुकूल बनाने के लिए प्रवृत्त किया है। आईटी सेवाओं की कुल सेवा निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसमें कंप्यूटर सेवाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। फिर पेशेवर और प्रबंधन परामर्श सेवाएं, तकनीकी और व्यापार से संबंधित सेवाएं और अनुसंधान और विकास क्षेत्रों में भी सेवा निर्यात में प्रभावी वृद्धि हुई है।

शोध एवं नवाचार से विदेश व्यापार में मौके

उल्लेखनीय है कि जिस तेजी से देश में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) की संख्या बढ़ी है, उतनी ही तेजी से आईटी सेवाओं के निर्यात में भी वृद्धि हुई है। ज्ञातव्य है कि भारत के नवाचार दुनिया में सबसे प्रतियोगी, किफायती, टिकाऊ, सुरक्षित और बड़े स्तर पर लागू होने वाले समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते ख्याति प्राप्त वैश्विक फार्मेसी कंपनियाँ, वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियाँ अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में जीसीसी स्थापित किए हैं । यह संख्या वित्त वर्ष 2015-16 में करीब 1000 से अधिक थी, वहीं यह बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 1500 से अधिक हो गई है। वास्तव में, भारत में लगभग 40 प्रतिशत वैश्विक जीसीसी हैं। इसमें कोई दोमत नहीं है कि वर्ष 2022 में देश से निर्यात बढ़ाने में भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की भारत के विदेश व्यापार को बढ़ाने में भी प्रभावी भूमिका रही है।

अब मुक्त व्यापार समझौतों से भी आयात-निर्यात में करियर के लिए नई अहमियत

जहाँ वर्ष 2022 में यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए एफटीए भारत में नई पीढ़ी के लिए करियर के मौके बढ़ा रहे है, वहीं हाल ही में जहाँ 10 मार्च को भारत और चार यूरोपीय देशों के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) के बीच निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया गया मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे व्यापार और आर्थिक समझौता (टीईपीए) कहा गया है। इस व्यापार समझौते के बाद भारत के साथ पेरू, ओमान, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन (ईयू) सहित कई देश व्यापार समझौते की बातचीत अंतिम दौर की ओर आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। नए एफटीए के तहत ईएफटीए ने अगले 15 साल में भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह भारत का ऐसे समूह के साथ पहला व्यापार करार है, जिसमें विकसित देश शामिल हैं। ईएफटीए के सदस्य देशों में आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं। जिससे भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां निर्मित होगी। इस समझौते से डिजिटल व्यापार, बैंकिंग, वित्तीय सेवा, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में इन चार देशों के बाजार में भारत की पहुँच आसान होगी। इस समझौते से भारतीय निर्यातकों के लिए यूरोप के बड़े बाजार में पहुंच आसान हो जाएगी। इस समझौते से भारत के साथ ईएफटीए देशों को वृद्धि के लिए भारत के बड़े बाजार तक पहुंच मिली है।

गौरतलब है कि मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ वे साझेदार देशों से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क को खत्म कर देते हैं या कम करने पर सहमत होते हैं। इन संधियों के अंतर्गत 10 से 30 विषय शामिल होते हैं। दुनिया में 350 से अधिक एफटीए वर्तमान में लागू हैं। इन विभिन्न एफटीए के बीच हाल ही में भारत के द्वारा ईएफटीए देशों के साथ जो एफटीए किया है, वह दुनिया में रेखांकित हो रहा है। 2022-2023 के दौरान ईएफटीए देशों को भारत का निर्यात 1.92 अरब डॉलर रहा था। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान इन देशों से भारत का कुल आयात 16.74 अरब डॉलर था। यानि व्यापार घाटा 14.82 अरब डॉलर हुआ था। ऐसे में ईएफटीए देशों से किया गया एफटीए भारत के निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।

विदेश व्यापार के करियर की शैक्षणिक योग्यताएँ

किसी भी स्ट्रीम की डिग्री के साथ विदेश व्यापार में करियर के लिए आगे बढ़ सकते हैं। बीबीए के साथ विदेश व्यापार की विशेषज्ञता लाभप्रद है। विदेश व्यापार में स्नातक (बीएफटी) की डिग्री भी अहम है। फिर विदेश व्यापार में मास्टर (एमएफटी) या एमबीए के साथ विदेश व्यापार का कोई पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा लाभप्रद है। इंटरनेशनल ट्रेड में पीजी डिप्लोमा के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

विदेश व्यापार के करियर के लिए स्किल्स

विदेश व्यापार में करियर के लिए कई प्रमुख कौशल आवश्यक हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अनुपालन, निर्यात अनुपालन, मौखिक संवाद, नेतृत्व कौशल, संगठन का कौशल, जनसंपर्क। आयात निर्यात पाठ्यक्रम पूरा करना, क्रेता-विक्रेता बैठकों में भाग लेना, व्यावसायिक दौरों में भाग लेना आदि कुछ उत्कृष्ट अवसर हैं जिनका लाभ आप आयात निर्यात में एक मजबूत करियर बनाने के लिए उठा सकते हैं। इसके लिए मजबूत नेटवर्किंग कौशल, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का गहरा ज्ञान और अच्छी उत्पादन प्रथाओं का अच्छा अध्ययन आवश्यक लाभप्रद है।

मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विदेश व्यापार के लिए कई अच्छे गुणवत्तापूर्ण संस्थान है, जहाँ ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के पाठ्यक्रम किए जा सकते हैं। आप अपनी उपयुक्तता और दक्षता के अनुरूप उपयुक्त पूर्ण संस्थान का चयन कर करियर की डगर पर आगे बढ़ाए।