एससी आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर रखें
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण में "क्रीमी लेयर" लागू करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि IAS अधिकारी का बच्चा गरीब मजदूर के बच्चे के बराबर नहीं हो सकता। गवई ने कहा कि यह सिद्धांत SC में भी ओबीसी की तरह लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने संविधान को समय के साथ बदलने वाला बताया और समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय संविधान को दिया।
संविधान से मिली सीजेआई गवई को सफलता
16 नवंबर को सीजेआई गवई ने दोहराया कि वे आर्थिक और सामाजिक रूप से आगे बढ़ चुके SC व्यक्तियों को आरक्षण से बाहर रखने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि IAS अधिकारियों के बच्चों को गरीब किसानों के बच्चों के बराबर नहीं माना जा सकता।
'India and the Living Indian Constitution at 75 Years' कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि इंद्र साहनी केस में OBC के लिए लागू क्रीमी लेयर का सिद्धांत SC पर भी लागू होना चाहिए। हालांकि इस राय की आलोचना हुई है, लेकिन वे इसे सही मानते हैं।
महिलाओं की समानता और अधिकार
सीजेआई गवई ने कहा कि जजों को आमतौर पर अपने फैसले समझाने की जरूरत नहीं होती और उनके रिटायरमेंट में केवल एक सप्ताह शेष है। उन्होंने समाज में महिलाओं के अधिकार और समानता में हुए सकारात्मक बदलावों पर भी जोर दिया।
संविधान की अनुकूलता और डॉ. अम्बेडकर का दृष्टिकोण
सीजेआई गवई ने कहा कि संविधान स्थिर नहीं है। डॉ. बीआर अम्बेडकर चाहते थे कि संविधान समय के साथ विकसित हो और समाज की जरूरतों के अनुसार काम करे। उन्होंने कहा कि केवल समानता से प्रगति संभव नहीं है, और स्वतंत्रता और बंधुत्व भी आवश्यक हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि संविधान की वजह से ही देश में दो SC राष्ट्रपति बने और वर्तमान राष्ट्रपति एक ST समुदाय से हैं। भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि अमरावती के एक साधारण नगर निगम स्कूल से पढ़कर वे देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे, यह संविधान की वजह से ही संभव हुआ।