अब बच्चों के लिए भी बुकर प्राइज: 2026 से नामांकन, 2027 में पहला पुरस्कार
ब्रिटेन का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार बुकर अवॉर्ड अब बच्चों के लिए भी शुरू किया जाएगा। इसका नाम 'चिल्ड्रन्स बुकर प्राइज' होगा। बुकर प्राइज फाउंडेशन ने 24 अक्टूबर को घोषणा की कि वह अपने मौजूदा अंग्रेजी और अनूदित कथा साहित्य के पुरस्कारों के साथ चिल्ड्रन्स बुकर प्राइज भी शुरू कर रहा है।
8 से 12 साल के बच्चों के लिए अवॉर्ड
यह पुरस्कार किसी भी देश के 8 से 12 साल के बच्चों के लिए होगा। प्रकाशित किताब अंग्रेजी में भी हो सकती है और अनुवादित भी। बुकर अवॉर्ड के नियम के तहत, इसे यू.के. या आयरलैंड में प्रकाशित होना चाहिए। फाउंडेशन का कहना है कि इसका उद्देश्य बच्चों के बीच अच्छे साहित्य को सम्मानित करना है। इस पुरस्कार की राशि 50,000 पाउंड यानी लगभग 67,000 अमेरिकी डॉलर होगी।
अगले साल से शुरू होगा चिल्ड्रन्स बुकर अवॉर्ड
यह पुरस्कार अगले साल की शुरुआत में प्रस्तुतियों के लिए खुल जाएगा और पहला पुरस्कार 2027 में दिया जाएगा। विजेता का चयन ज्यूरी के वोटों से होगा। ज्यूरी में बच्चे और वयस्क दोनों शामिल होंगे। ज्यूरी के हेड ब्रिटेन के वर्तमान चिल्ड्रन्स लॉरेट और लेखक फ्रैंक कॉटरेल बॉयस होंगे।
फ्रैंक कॉटरेल बॉयस ने कहा: "अब होने वाला है असली धमाका। चलो चिल्लाने की शुरुआत करें।" वे एक ब्रिटिश स्क्रीवराइटर, नॉवलिस्ट और एक्टिविस्ट हैं।
मूल बुकर प्राइज और इसके विजेता
मूल बुकर प्राइज की स्थापना 1969 में हुई थी। यह दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक अवॉर्ड में से एक है। इसके विजेताओं में सलमान रुश्दी, मार्गरेट एटवुड, इयान मैकएवन, अरुंधति रॉय और हिलारी मंटेल शामिल हैं।
इस साल भारतीय लेखिका को मिला बुकर
भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता है। हार्ट लैंप कन्नड़ भाषा में लिखी पहली किताब है जिसे बुकर प्राइज मिला है। दीपा भष्ठी ने इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया है।
हार्ट लैंप को बुकर प्राइज के लिए दुनियाभर की छह किताबों में से चुना गया। यह अवॉर्ड पाने वाला पहला लघु कथा संग्रह है। दीपा भष्ठी इस किताब के लिए अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय ट्रांसलेटर हैं।