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वस्तुतः रेडियोलॉजी एक मेडिकल टेक्नोलॉजी है। इसकी मदद से शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है। इससे डॉक्टरों को मरीजों की स्थिति और उनकी बीमारियों के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है, जिससे उन्हें उपयुक्त इलाज करने में काफी आसानी होती है। जैसे-जैसे शरीर के आंतरिक भागों में छिपी हुई बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं। वैसे-वैसे देश और दुनिया में रेडियोलॉजी सेक्टर में करियर के बढ़ते हुए मौकों का परिदृश्य निर्मित हो रहा है। स्थिति यह है कि कोरोना महामारी के बाद देश के कोने-कोने में सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्पतालों एक्सरे सिटी स्कैन संस्थानों और नर्सिंग होम्स में रेडियोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजी टेक्नीशियन व अन्य पदों पर तेजी नई नियुक्तियाँ तेजी से बढ़ती गई हैं।
छलांगे लगाकर बढ़ रहा है रेडियोलॉजी सेक्टर
गौरतलब है कि किसी रोग के सही इलाज के लिए उसकी सही पहचान की जाना पहली जरूरत है। इसीलिए रोगों की पहचान के लिए रेडियोलॉजी की आवश्यकता पड़ती है। रेडियोलॉजी सुरक्षित रोगी देखभाल में योगदान करती है और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में रेडियोलॉजिस्ट और रेडियोग्राफर की महत्वपूर्ण भूमिका सार्वजनिक समझ को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम करती है। ज्ञातव्य है कि रेडियोलॉजी दो तरह की होती है। डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी और थैरापेटिक रेडियोलॉजी। डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी के अंतर्गत मुख्य रूप से रेडियोग्राफी और अल्ट्रासाउंड से जुड़े टेस्ट शामिल होते हैं, जैसे एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआई, एंजियोग्राफी, फ्लोरोस्कोपी, पोसीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी आदि। थैरापेटिक रेडियोलॉजी में रेडियो तरंगों द्वारा उपचार किया जाता है।
रेडियोलॉजिस्ट स्पेशलाइजेशन की वजह से रेडियोलॉजी तकनीक के कुशल जानकार बन जाते हैं एक रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर ये शरीर के विभिन्न अंगों का एक्सरे करते हैं। रेडियो इमेज का विश्लेषण और इंटरप्रिटेशन करते हैं। इसके अलावा, इन पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है कि एक्सरे करते समय मरीज या आसपास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का कोई बुरा असर न हो। इसके साथ-साथ ऐसे प्रोफेशनल्स और टेक्नीशियंस को रेडियोग्राफिक उपकरणों और मरीजों के रेकॉर्ड्स को मेन्टेन रखने का काम भी करना होता है।
डायग्नोस्टिक इमेजिंग मार्केट बढने के साथ रेडियोलॉजी में बढ़ते करियर
देश और दुनिया में छलांगे लगाकर बढ़ रहे रेडियोलॉजी और डायग्नोस्टिक इमेजिंग मार्केट की तस्वीर भी रेडियोलॉजी में चमकीले करियर के परिदृश्य को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रही है। इंडिया डायग्नोस्टिक इमेजिंग मार्केट रिपोर्ट 2020 के अनुसार वर्ष 2019-20 में भारत में डायग्नोस्टिक इमेजिंग मार्केट का आकार 1655.35 मिलियन डॉलर था, यह 2026-27 तक 9.03 फीसदी की प्रभावपूर्ण वृद्धि दर से आगे बढ़ने की संभावना रखता है। इसी तरह मार्केट्स एंड मार्केट्स डॉट कॉम के मुताबिक दुनिया में 2019 में डायग्नोस्टिक इमेजिंग मार्केट 25.7 अरब डॉलर था, यह 2024 तक तेजी से आगे बढ़ता हुआ 35.5 अरब डॉलर पर पहुँच सकता है।
रेडियोलॉजी सेक्टर की शैक्षणिक जरूरतें-
रेडियोलॉजी सेक्टर में करियर बनाने के लिए पीसीबी यानी फिजिक्स केमिस्ट्री और बायोलॉजी ग्रुप में 50 फीसदी मार्क्स होना आवश्यक हैं। एक रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर बनने के लिए पहले किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद रेडियोलॉजी में एमडी या डिप्लोमा की डिग्री लेना होती है। रेडियोलॉजी टेक्नीशियन, रेडियोलॉजी असिस्टेंट, रेडियोग्राफर, रेडियोलॉजी नर्स, अल्ट्रासाउंड टेक्निशियन, डायग्नोस्टिक मेडिकल सोनोग्राफर, एमआरआई टेक्निशियन,सीटी स्कैन टेक्नॉलजिस्ट आदि के लिए देश के कुछ संस्थान बॉयोलॉजी समूह के अलावा पीसीएम समूह के छात्रों को भी प्रवेश देते हैं। रेडियोलॉजी टेक्नीशियन के लिए सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर्स तक के कोर्स शामिल हैं। इनमें तीन वर्षीय बैचलर ऑफ रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी, तीन वर्षीय बीएससी इन मेडिकल रेडियोलॉजी, डिप्लोमा इन मेडिकल रेडियोलॉजी, दो वर्षीय डिप्लोमा इन रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी और एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग टेक्नोलॉजी आदि कई कोर्सेज प्रमुख हैं।
रेडियोलॉजी में करियर की जरूरी योग्यताएँ
रेडियोलॉजी सेक्टर में अच्छा करियर बनाने के लिए दिन-प्रतिदिन आ रहे रेडियोलॉजी के नए-नए उपकरणों और मशीनों से संबंधित प्रशिक्षण लाभप्रद है। चूँकि रेडियोजिस्ट और रेडियो टेक्नीशियन शरीर के विभिन्न अंगों का एक्सरे करते हैं अतएव एक्सरे करते समय मरीज और आसपास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का साइड इफेक्ट न हो, इससे संबंधित पर्याप्त जानकारी भी जरूरी हैं। रेडियोग्राफिक उपकरणों की देखभाल करने के साथ ही रोगियों के रेकॉडर्स भी मेंटेन संबंधी प्रशिक्षण भी जरूरी है। रेडियोलॉजिस्ट और रेडियो टेक्नीशियन में कम्प्यूटर कौशल, बेहतरीन संवाद क्षमता और मरीजों के साथ सहानुभूति के गुणों के साथ-साथ टीम भावना का होना भी लाभप्रद होता है।
रेडियोलॉजी में करियर के विविध क्षेत्र-
रेडियोलॉजी सेक्टर में करियर के अवसर न केवल देश में, अपितु विदेशों में भी उपलब्ध हैं। भारत में रेडियोलॉजी के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएँ हैं। नर्सिंग होम, सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटरों में रेडियोग्राफर की आवश्यकता होती है। इसके अलवा मेडिसिन, रिसर्च और टीचिंग में भी रेडियोग्राफर की जरूरत हमेशा बनी रहती है। न्यूक्लीयर मेडिसिन के क्षेत्र में भी एक्स-रे तकनीशियन और रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है। डायग्नोस्टिक इमेजिंग विभाग, आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टरों के साथ रेडियोलॉजिस्ट और रेडियोग्राफर की जरूरत पड़ती है।
खास बात यह भी है कि रेडियोलॉजिस्ट के लिए विदेशों में भी जॉब के बहुत अवसर हैं। अमेरिका, योरप, अफ्रीका तथा खाड़ी के देशों में ऐसे लोगों के लिए रेडियो इमेजिंग तकनीशियन, रेडियोग्राफर, रेडियोलॉजिस्ट, प्रयोगशाला सहायक, क्लीनिक सहायक, एक्सरे तकनीशियन या अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ के तौर पर जॉब के मौके तेजी से बढ़े हैं।
रेडियोलॉजी के कोर्स कहाँ से किए जाएँ-
देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस के बाद रेडियोलॉजी में डिप्लोमा और पोस्टग्रेजुएशन के कोर्स किए जा सकते हैं। देश एवं विभिन्न प्रदेशों के मेडिकल कॉलेजों तथा पेरामेडिकल संस्थानों में रेडियोलॉजी टेक्नीशियन, रेडियोलॉजी असिस्टेंट, रेडियोलॉजी टेक्नॉलजिस्ट, रेडियोग्राफर, रेडियोलॉजी नर्स, अल्ट्रासाउंड टेक्निशियन, डायग्नोस्टिक मेडिकल सोनोग्राफर, एमआरआई टेक्निशियन,सीटी स्कैन टेक्नॉलजिस्ट के कोर्स संचालित किए जाते हैं। रेडियोलॉजी से संबंधित विभिन्न कोर्स कराने वाले संस्थान की शैक्षणिक गुणवत्ता और उपयुक्तता को ध्यान में रखते हुए रेडियोलॉजी में करियर की डगर पर आगे बढ़ा जा सकता है।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)