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निर्माण उद्योग (कंसट्रक्शन इंडस्ट्री) में करियर

यकीनन कोरोनाकाल के बाद देश में निर्माण उद्योग (कंसट्रक्शन सेक्टर) बहुत तेजी से बढ़ रहा है। निर्माण उद्योग के क्षेत्र में आए बूम के पीछे मुख्य कारण भारत सरकार की ओर से इस क्षेत्र में सौ फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी देना है। साथ ही सरकार के द्वारा शहरों के तेज विकास और शहरी नियोजन के लिए कई योजनाएँ शुरू की गई है।

इस समय निर्माण उद्योग में जैसे-जैसे विविधता आ रही है, वैसे-वैसे इंजीनियरिंग कॉलेज अब अपने सिविल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर रहे हैं। डिजाइनिंग से लेकर कंस्ट्रक्शन तक की प्रक्रिया में काफी काम नई तकनीक, कम्प्यूटर और मशीनों से होने लगा है। स्टूडेंट्स को भी वीएफएक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी विधाएं सिखाई जा रही हैं। कई नए डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर सिविल इंजीनियरिंग कोर्स का हिस्सा बन चुके हैं। स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री एक्सपोजर की ओर प्रेरित किया जाता हैं। अब सिविल इंजीनियरिंग में कॉन्क्रीट टेस्टिंग और क्वालिटी कंट्रोल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग होने लगा है। समय के साथ डिजाइनिंग और कंस्ट्रक्शन में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी बढ़ा है इसलिए स्केचअप, ऑटोकैड, डाटाकैड और रेविट जैसे सॉफ्टवेयर्स भी स्टूडेंट्स को सिखाए जा रहे हैं। रोबोटिक्स भी अब सिविल इंजीनियरिंग कोर्स का हिस्सा बनता जा रहा है, जिससे कंस्ट्रक्शन के दौरान बेहतर फिनिशिंग में मदद मिलती है।

छलांगे लगाकर बढ़ते निर्माण उद्योग में बदलता रोजगार स्वरूप

इस समय देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में लगभग 10 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। निर्माण उद्योग से जुड़े हुए विशेषज्ञों के मुताबिक आगामी पांच सालों में स्मार्ट सिटी, मेट्रो और हाईवे जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर वर्तमान व्यय से भी अधिक खर्च किए जाएंगे। शहरी नियोजन से संबंधित अलग-अलग बड़े प्रोजेक्ट्स के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में पिछले 5 सालों में 70 प्रतिशत ग्रोथ हुई है जो अगले दस सालों तक जारी रहेगी। हर प्रोजेक्ट में लगभग 17 फीसदी कॉस्ट सिर्फ ह्मूमन रिसोर्स पर खर्च की जाती है, इस लिहाजा से देश में आगामी 5 सालों में ही लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर मिलेंगे।

निर्माण उद्योग में बहुआयामी करियर विकल्प

निर्माण उद्योग के क्षेत्र में करियर विकल्पों की बात करें तो यह एक बहुविकल्पीय जॉब प्रदान करने वाला क्षेत्र है। निर्माण उद्योग के अंतर्गत आर्किटेक्चर, बिल्डिंग इंजीनियरिंग और प्लानिंग जैसे कई कार्य आते हैं। निर्माण उद्योग के विस्तार और बड़ी कंपनियों के इस क्षेत्र में उतरने से टेक्नोक्रेट्स की माँग लगातार बढ़ रही है। आज परम्परागत मिस्त्री की जगह आर्किटेक्ट ने ले ली है। मिस्त्री का काम केवल उसके बनाए नक्शे पर बिल्डिंग तैयार करना रह गया है। भवन निर्माण प्रक्रिया की बात करें तो इसके अनेक चरण होते हैं। आर्किटेक्ट प्रस्तावित भवन का मैप (नक्शा) तैयार करता है। उस मैप को साकार रूप देने की जिम्मेदारी इंजीनियरों और मजदूरों के कंधों पर होती है। डिजाइन बनाने के बाद सिविल इंजीनियरिंग का काम शुरू होता है। इसमें निर्माण स्थल का सर्वेक्षण, तकनीकी व वित्तीय पक्ष की जाँच-पड़ताल और निर्माण कार्य की योजना बनाना शामिल है। इन विभिन्न कार्यों में बहुआयामी करियर विकल्प हैं।

निर्माण उद्योग में करियर के विभिन्न मौके

इस समय कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट से जुड़ी नित नई कम्पनियाँ बाजार में आ रही हैं जो रियल एस्टेट फायनेंस, इंश्योरेंस, मार्केटिंग, लीगल, प्लानिंग एवं डेवलपमेंट जैसे कार्यों के लिए एक्जीक्यूटिव्स को नियुक्त करती हैं। इन कंपनियों में मैनेजमेंट ट्रेनी, असिस्टेंट मैनेजर, सेल्स एक्जीक्यूटिव्स, लीगल एक्जीक्यूटिव, प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के रूप में कॅरियर बना सकते हैं। आधारभूत क्षेत्र अर्थात सडक़, बिजली, बाँध, तालाब, नहर आदि क्षेत्रों की विकास परियोजनाओं में प्रोजेक्ट मैनेजर, साइट ऑफिसर, सुपरवाइजर आदि के रूप में उज्ज्वल भविष्य बनाया जा सकता है। लोक निर्माण विभाग, डाक व तार, रेलवे, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और सार्वजनिक क्षेत्र के विभागों में रोजगार की उजली संभावनाएँ हैं। आर्किटेक्चर व कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में डिप्लोमाधारक निजी क्षेत्रों में भी अच्छा करियर बना सकते हैं। केंद्रीय स्तर पर यूपीएससी और राज्य स्तर पर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से सिविल इंजीनियरों की भी नियुक्तियाँ की जाती हैं।

निर्माण उद्योग से संबंधित करियर की स्किल्स

निर्माण उद्योग में करियर बनाने के लिए सेल्स स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, व्यावहारिक व कार्य के प्रति जिम्मेदार होना जैसे गुण होना जरूरी हैं। इन खूबियों के बलबूते निर्माण उद्योग के क्षेत्र में उम्दा भविष्य बनाने का सपना साकार किया जा सकता है। चूँकि निर्माण उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ प्रोडक्ट की क्वालिटी पर विशेष जोर दिया जाता है अतएव इसी आवश्यकता के चलते अब ऐसी प्रोफेशनल्स स्किल्स जरूरी हैं जिसके तहत परम्परागत प्रणाली की जानकारी के साथ इस क्षेत्र के मॉर्डन रूप संबंधी पर्याप्त जानकारी भी हो।

निर्माण उद्योग में करियर संबंधी शैक्षणिक जरूरतें

सिविल इंजीनियरिग की डिग्री निर्माण उद्योग में महत्वपूर्ण होती है। इंजीनियरों के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री भी लाभप्रद है। टाउन एंड कंट्री प्लानर जमीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करता है। इन सब कामों के लिए फील्ड सर्वे और अध्ययन जरूरी होता है। इसके बाद मॉडल, स्केच या ले आउट तैयार किया जाता है, जिसके लिए ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर विशेषज्ञता हासिल करना जरूरी है। इसमें ड्राफ्टसमैन का काम भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसे आमतौर पर आर्किटेक्ट के साथ काम करना होता है। ड्राफ्टमैन इमारतों, सडक़ों, पुलों और बाँधों आदि का बुनियादी नक्शा तैयार करता है। किसी भी परियोजना के मंजूर होने पर विस्तृत साइट प्लान तैयार करता है। कौनसी चीज कहाँ बनाई जाए, इमारत कितनी मंजिला हो जैसे काम ड्राफ्टमैन के हैं। कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पाठ्यक्रम करने के लिए न्यूनतम योग्यता इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर की किसी भी शाखा में ग्रेजुएट डिग्री जरूरी हैं।

अनुकूलता से चुनें निर्माण उद्योग से संबंधित पाठ्यक्रम

निर्माण उद्योग से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम मध्यप्रदेश और देश के विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं। अपनी उपयुक्तता के अनुरूप किसी कोर्स और उपयुक्त शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान को चयन करके कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में अच्छे करियर की डगर पर आगे बढ़ा जा सकता है।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)