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ज्वैलरी डिजाइनिंग में करियर के चमकीले अवसर


इसमें कोई दो मत नहीं है कि जब महिलाएँ एवं युवतियाँ किसी मैरेज, फंक्शन अथवा इवेंट में जाती हैं तो अपनी साड़ी अथवा अपनी ड्रेस के साथ ज्वैलरी के मैचिंग पर भी विशेष ध्यान देती हैं क्योंकि इससे उनके स्टाइल स्टेटमेंट के साथ-साथ उनकी पर्सनेलिटी एवं लुक में भी जबरजस्त निखार आता है। देश ही नहीं अपितु दुनियाभर की महिलाएँ एवं युवतियाँ आजकल नए-नए डिजाइनों की ज्वैलरी की डिमांड करती हैं। यही नहींअब तो महिलाओं के अलावा पुरूष भी बड़ी संख्या में कई तरह की डिजाइनर ज्लैवरीजैसे ब्रेसलेट, रिंग,चेन आदि पहनने लगे हैं। इसी के चलते डिजाइनर ज्वैलरी की बढ़ती डिमांड की वजह से यह इंडस्ट्री जॉब के लिहाज से बहुत तेजी से प्रगति कर रही है। ज्वैलरी का तेजी से बढ़ता यही ट्रेंड युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए बहुत आकर्षित कर रहा है।

यकीनन डिजाइनर ज्वैलरी के बढ़ते ट्रेंड के कारण यह इंडस्ट्री बहुत तेजी से प्रगति कर रही है और इसमें रोजगार मिलने के अवसर भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में कितने चमकीले रोजगार अवसर हैं। चूँकि विगत कुछ दशकों से भारत ने रत्न और आभूषणों के ग्लोबल मार्केट में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। इसलिए यह क्षेत्र भारतीय युवाओं के लिए भी काफी चमकदार करियर क्षेत्र साबित हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि विभिन्न प्रकार के आभूषणों को बनाने की कला को ही ज्वैलरी डिजाइनिंग के नाम से जाना जाता है। सोना (कुंदन), चांदी, प्लेटिनम, इत्यादि बहुमूल्य धातुओं को विभिन्न आकारों में ढालकर उसमें रत्न एवं नग लगाकर उनसे तरह-तरह के मनमोहक गहने बनाए जाते हैं। इन गहनों को बनाने में सबसे बड़ा योगदान ज्वैलरी डिजाइनर का होता है। ज्वैलरी डिजाइनर वह व्यक्ति होता है, जो ज्वैलरी की स्टाइल, पैटर्न आदि सेट करता है। ज्वैलरी डिज़ाइनिंग में मुख्य काम ज्वैलरी की डिजाइनिंग के साथ ही स्टाइल एवं पैटर्न आदि बनाने का होता है। पहले यह काम सुनार एवं उनके कारीगर करते थे तथा यह काम हाथ से होता था परन्तु अबयह काम ज्वैलरी डिजाइनर करते हैं तथा इसमें कम्प्यूटर की मदद ली जाती है। ज्वैलरी डिजाइनर अपने क्लाइंट अथवा फैशन की नई डिमांड को ध्यान में रखकर सुंदर गहने बनाता है। स्टाइलिश ज्वैलरी बनाने में रत्नों, हाथी दांत, बहुमूल्य पत्थर, सीप, मोती आदि का भी भरपूर इस्तेमाल ज्वैलरी डिजाइनर करते हैं। इस प्रकार यह कहाजा सकता है कि यदि आपमें प्रयोगधर्मिता, रचनात्मकता तथा लंबे समय तक काम करने का गुण है तो ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में चमकीला करियर बनाया जा सकता है।

गौरतलब है कि भले ही आज सोने, चाँदी, हीरे, मोती आदि के दाम नए रिकॉर्ड कायम कर रहे हों, लेकिन लोगों की ज्वैलरी के प्रति दीवानगी कम होने वाली नहीं है। अपितु यह दिन दुगनी रात चौगुनी गति से बढ़ती ही जा रही है। आजकल नए फैशन के तहत लोग सोने के परंपरागत डिजाइनर आभूषणों के साथ-साथ अन्य धातुओं एवं नगों से सजी डिजाइनर ज्वैलरी को भी महत्व देने लगे हैं। चूँकि इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की डिमांड बहुत ज्यादा है तथा सप्लाई बहुत कम है इसलिए ज्वैलरी डिजाइनिंग का क्षेत्र युवाओं के लिए करियर की असीम संभावनाओं से भरा पड़ा है, जो उन्हें भविष्य में ऊँचाइयों के साथ-साथ रोजगार की भी पूरी गारंटी प्रदान करता है। गौरतलब है कि डिजाइनर ज्वैलरी की बाजार में माँग बढऩे से तथा नए फैशन एवं प्रयोगधर्मिता के कारण ही आज भारत अपनी धाक ज्वैलरी बाजार में जमा पाया है तथा भारतीय ज्वैलरी डिजाइनरों द्वारा तैयार ज्वैलरी की पूरी दुनिया में घूम मची हुई है।

ज्वैलरी डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए सबसे पहले इस क्षेत्र के प्रति लगाव और ज्वैलरी डिज़ाइनिंग की समझ होना नितांत आवश्यक है। इसके साथ ही क्रिएटिव, कल्पनाशील, न्यू ट्रेंड का सेंस, फैशन सेंस, कलर एवं डिजाइन सेंस आदि के साथ मेहनती होना भी जरूरी है। ज्वैलरी डिजाइनिंग के काम में सावधानी भी बहुत ज़रूरी होती है। हालांकि हर फील्ड में धैर्य रखने की जरूरत होती है परंतु ज्वैलरीडिजाइनिंग का काम एक ऐसा काम है जिसमें ज्वैलरी डिजाइनर को बहुत अधिक धैर्य रखने की जरूरत पड़ती है ।अगर आप किसी गोल्ड, प्लेटिनम जैसी बहुमूल्य धातुओं से ज्वैलरीडिजाइन करने में लगे हैं, तो थोड़ी-सी भी लापरवाही आपकी सारी मेहनत को खराब कर सकती है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में चमकीला रोजगार प्राप्त करने के लिए तकनीकी ज्ञान बहुत जरूरी है। बिना तकनीकी ज्ञान के आप इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते हैं, इसलिए ज्वैलरी डिजाइनिंग का कोर्स किसी प्रतिष्ठित संस्थान से करके इस व्यवसाय से जुड़े तमाम सूक्ष्य विषयों की जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। स्केचिंग के अभ्यास के साथ ही जैमोलॉजी, पॉलिशिंग, कुंदनकारी, कटिंग, कलर साइंस, ज्यामिति, मैटालॉजी, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, क्वालिटी कंट्रोल आदि की विस्तृत जानकारी ज्वैलरी डिजाइनिंग के पाठ्यक्रमों में दी जाती है।ज्वैलरी डिजाइनिंग से संबंध रखने वाले किसी भी अच्छे संस्थान के कोर्स में प्रवेश लेने के लिए सामान्यतःइंट्रेंस टेस्ट उत्तीर्ण करना आवश्यक है । इस परीक्षा के माध्यम से उम्मीदवार की स्केचिंग क्षमता तथा कल्पनाशक्ति की क्षमता को जाँचा एवं परखा जाता है।

ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में विविध कोर्स

ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में चमकीला करियर बनाने के लिए आप बारहवीं के बाद इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा अथवा डिग्री कोर्स कर सकते हैं। बारहवीं के बाद आप इसमें छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स अथवा डिग्री कोर्स कर सकते हैं या फिर ग्रेजुएशन के बाद एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। दसवीं उत्तीर्ण युवाओं के लिए भी ज्वैलरी डिज़ाइनिंग में करियर ऑप्शन हैं। दसवीं के बाद शॉर्ट टर्म कोर्स किया जा सकता है।

कैड फॉर जेम्स एंड ज्वैलरी, कलर्ड जेमस्टोन आइडेंटिफिकेशन, बेसिक ज्वैलरी डिज़ाइन, डायमंड आइडेंटीफिकेशन एंड ग्रेडिंग, बैचलर ऑफ एक्सेसरीज़ डिज़ाइन, डिप्लोमा इन ज्वैलरी डिज़ाइन एंड जैमोलॉजी, ज्वैलरी मैनुफैक्चरिंग, एडवांस ज्वैलरी डिज़ाइन विद कैड,बैचलर ऑफ ज्वैलरी डिज़ाइन, बीएससी इन ज्वैलरी डिज़ाइन, मास्टर्स डिप्लोमा इन ज्वैलरी डिज़ाइन एंड टेक्नोलॉजीआदि कई रोजगारोन्मुखी कोर्स उपलब्ध हैं। जिन्हें आप अपनी योग्यता, क्षमता एवं रूचि के अनुरूप चुन सकते हैं।

ज्वैलरी डिजाइनिंग के कोर्स के दौरान आपको रत्न की कटिंग और पॉलिशिंग, रत्न की सही पहचान, मेटल का रंग-रोगन, रत्न सेटिंग, ज्वैलरी प्रेजेंटेशन, ज्वैलरी कॉस्टिंग, फिनिशिंग से लेकर तरह-तरह के मेटल्स और रत्नोंतक की विस्तृत जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाता है। कम्प्यूटर एडेड ज्वैलरी जो कि एक तरह का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर है जिसमें आप अपनी मनपसंदज्वैलरी को डिजाइन कर सकते हैं, उसका भी गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। ज्वैलरी डिजाइन कोर्स के दौरान ज्वेल कैड, ऑटो कैड, 3 डी स्टूडियो आदि कम्प्यूटर एडेड ज्वैलरी सॉफ्टवेयर के बारे में टेक्निकल नॉलेज भी विस्तार से प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त फोटोशॉप, कोरल ड्रॉ, वेट एंड मेटल कम्पोजिशन का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर के विविध आयाम

ज्वैलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में रोजगार संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। भारतीय पारंपरिक आभूषणों की विदेशों में बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए एक्सपोर्ट हाउसों में ज्वैलरी डिजाइनरों की कभी न खत्म होने वाली माँग है। ज्वैलरी डिजाइनिंग से संबंधित कोर्स करने के बाद ज्वैलरी डिजाइन करने वाली किसी संस्थान में ज्वैलरी को बनाने से लेकर फिनिशिंग तक का काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है। इसके साथ ही ज्वैलरी डिजाइनर, एग्जीबिशन मैनेजर, प्रोडेक्शन मैनेजर, कॉस्टिंग मैनेजर, राइटर तथा ड्राफ्टर, प्लॉनिंग एंड कॉन्सेप्ट मैनेजर, जैम ग्राइंडर, जैम पॉलिशर और सेल्स एसोसिएट इत्यादि पदों पर भी नियुक्त हुआ जा सकता है। यदि आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो इस क्षेत्र में अनुभव अर्जित करने के बाद अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। इसमें कोई दोमत नहीं है कि विश्व में गहने निर्माण हेतु सोने की सबसे अधिक खपत भारत में ही होती है इसके कारण यहाँ जेम्स एंड ज्वैलरी के क्षेत्र में चमकीले रोजगार अवसर हैं। जयपुर, सूरत आदि विश्व के सबसे बड़े जेम्स कटिंग सेंटर के रूप में जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद आदि शहरों में जेम्स एंड ज्वैलरी के विशाल एक्सपोर्ट हाउसेज मौजूद हैं जिनमें हमेशा ही ज्वैलरी डिजाइनरों की भारी माँग रहती है। अगर आप चाहें तो फ्रीलांस डिजाइनर के रूप में भी अपने डिजाइन एक्सपोर्ट हाउसेज को बेच सकते हैं। किसी फर्म में जॉब लगने पर शुरुआती तौर पर 20 से 35 हज़ार रुपए प्रतिमाह कमा सकते हैं। इससे आपको अनुभव प्राप्त हो जाएगा और फिर बाद में किसी बड़े एक्सपोर्ट हाउस में जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं जहाँ आप 50 हजार से 1 लाख रुपए प्रतिमाह कमा सकते हैं और फिर इसी तरह आगे बढ़ते जाएँगे।

ज्वैलरी डिजाइनिंग के प्रशिक्षण की बात की जाए तो इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ज्वैलरी डिजाइनिंग के प्रशिक्षण के लिए बहुत अच्छा संस्थान माना जाता है जिसके हमारे देश में कई जगह केन्द्र हैं, जहाँ ज्वैलरी डिजाइनिंग के बारे अच्छा प्रशिक्षण मिलता है। इसके अलावा भी कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं जहाँ से ज्वैलरी डिजाइनिंग का कोर्स किया जा सकता है।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)