BLOG

डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ते करियर के नए मौके


सचमुच यह कोई छोटी बात नहीं है कि डिजिटलीकरण के नए दौर में डिजिटल इकोनॉमी में भारत की नई पीढ़ी के लिए देश व दुनिया में करियर के चमकीले मौके तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट के द्वारा वैश्विक रोजगार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में वर्ष 2025 तक ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते करीब छह से साढ़े छह करोड़ रोजगार अवसर पैदा हो सकते हैं।

डिजिटलीकरण बढ़ने के साथ बढ़े मौके

दुनिया के साथ-साथ भारत में भी डिजिटलीकरण तेजी से आगे बढ़ा है। खास बात यह भी है कि भारत में डिजिटलीकरण के लिए तेजी से विदेशी निवेश आने का सुकूनभरा परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि जैसे क्षेत्रों में डिजिटल मौकों के साथ-साथ रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में करने के लिए वैश्विक डिजिटल कंपनियाँ भारत की ओर तेजी से कदम आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं। ऐसे में भारत की डिजिटल होती हुई अर्थव्यवस्था में करियर के चमकीले मौके बढ़ रहे हैं।

यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 के कारण डिजिटल हुई दुनिया में ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग सहित विभिन्न डिजिटल सेक्टर में रोजगार और नौकरियाँ ऊंचाई पर पहुँचते हुए दिखाई दे रही है। देश की डिजिटल इकोनॉमी में ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। लॉकडाउन और कोविड-19 के बाद जिंदगी में आएं बदलाव के बारे में जारी वैश्विक अध्ययन रिपोर्टों में सामने आया है कि अब बड़ी संख्या में लोग भीड़भाड़ में नहीं जा रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध बर्नस्टीन रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनाकाल में लोगों ने तेजी से डिजिटल का रुख किया है और यह बदलाव स्थाई हो गया है। ऐसे में भारत में भी उपभोक्ताओं की आदत और व्यवहार में भारी बदलाव के मद्देनजर ऑनलाइन खरीदारी छलांगे लगाकर बढ़ते हुए दिखाई दे रही है और इससे ई-कॉमर्स में रोजगार बढ़ रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध मॉर्गन स्टैनली के आकलन के मुताबिक ऑनलाइन बाजार से जुड़े एफडीआई कानून और ऑफलाइन व्यवसायों के तेजी से ऑनलाइन होने के कारण 2027 तक भारत का ई-कॉमर्स व्यापार छलांगे लगाकर बढ़ेगा। डिजिटल रोजगार के लिए समय, दूरी और कार्यस्थल संबंधी कोई सीमाएं नहीं हैं। डिजिटल इकोनॉमी के तहत कार्य घर पर रहते हुए भी सरलतापूर्वक किए जा सकते है।

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था में नए मौके

इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि दुनिया में तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रही भारतीय अर्थव्यवस्था की नई शक्ति भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था है। हाल ही में इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटर-नेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) और वैश्विक उपभोक्ता इंटरनेट समूह प्रोसस की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की वैश्विक रैंकिंग में अब भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया के तीसरे नंबर का सबसे बड़ा देश बन गया है। रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान में भारत विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर है। बीते वर्ष 2023 में देश में कुल डिजिटल भुगतान यूनिफाइड पेमेंटस इंटरफेस (यूपीआई) की हिस्सेदारी बढ़कर 80 फीसदी के करीब पहुँच गई है। यूपीआई लेनदेन की संख्या महज छह साल में 273 गुना बढ़ी है। वर्ष 2017 में 43 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए थे वर्ष 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 11761 करोड़ हो गई। निसंदेह भारत में यूपीआई ने भुगतान क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इक्रियर के द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था पर हुई यह स्टडी कनेक्ट, हार्नेस, इनोवेट, प्रोटेक्ट और सस्टेन जैसे पांच महत्वपूर्ण पैरामीटर्स पर आधारित है। इन पैरामीटर्स पर भारत ने 39.1 स्कोर किया है, जबकि पहले क्रम पर स्थित अमेरिका ने 65.1 और दूसरे क्रम पर स्थित चीन ने 62.3 स्कोर किया है। भारत के बाद ब्रिटेन चौथे और जर्मनी पांचवें क्रम पर है। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए नैसकॉम के अध्यक्ष देबजानी घोष ने कहा कि दुनिया अभी भी वास्तव में नहीं समझ पाई है कि प्रौद्योगिकी ने भारतीयों के दैनिक जीवन में खुद को कैसे शामिल कर लिया है, जो वास्तविक डिजिटल अर्थव्यवस्था है। एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत ने डिजिटल युग में छलांग लगा दी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट नेटवर्क वाला देश है।

समाज के हर वर्ग के डिजिटल दुनिया से जुड़ने से बड़े मौके

यह कोई छोटी बात नहीं है कि भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकी को न केवल युवा अपना रहे हैं बल्कि शिक्षित बुजुर्ग भी इसमें पीछे नहीं हैं। जी20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत को सार्वजनिक सेवाओं की बड़े पैमाने पर डिलीवरी के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के चैंपियन के रूप में मान्यता दी गई थी। इन्फोसिस के सह संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलेकणी का भी कहना है कि भारत ने अपने अनोखे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और नई डिजिटल पूंजी के सहारे पिछले 10 साल में वह कर दिखाया, जो पारंपरिक तरीके से काम करने में पांच दशक लग जाते। ऐसे में अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बना भारत तेज विकास की नई इबारत लिखते हुए दिखाई देगा। भारत वित्तीय प्रौद्यौगिकी (फिनटेक) और डिजिटल भुगतान के क्षेत्रों में वैश्विक मंच पर चमक रहा है। 50 करोड़ से अधिक कमजोर वर्ग के लोगों को जनधन खातों के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है। डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में और आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) में मदद की। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद डिजिटलीकरण भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। भारत में वर्ष 2014 से लागू की गई डीबीटी योजना एक वरदान की तरह दिखाई दे रही है। भारत ने पिछले एक दशक में मजबूत डिजिटल ढाँचे से डिजिटलीकरण में एक लंबा सफर तय कर लिया है। सरकारी योजनाओं के तहत बिचौलियों के भ्रष्टाचार को रोकने, काम के भौतिक रूपों व सरकारी कार्यालयों में लम्बी कतारों से राहत और घरों में आराम से मोबाइल स्क्रीन पर कुछ क्लिक करके विभिन्न सेवाओं, सुविधाओं और मनोरंजन की सुविधाएँ सहज उपलब्ध हैं।

सरकारी डिजिटल मिशनों से करियर के नए आयाम

यह कोई छोटी बात नहीं है कि छोटे उद्योग-कारोबार के लिए सरल ऋण और रोजगार सृजन हेतु अप्रैल 2015 को डिजिटल रूप से लागू प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, अटल पेंशन योजना, भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, स्टैंड अप इंडिया और तत्काल भुगतान सेवा, डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन से भी समाज के करोड़ों लोग लाभांवित हो रहे हैं। डिजिटल पैमेंट के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है और भारत ने अमेरिका, यूके और जर्मनी जैसे बड़े देशों को पीछे कर दिया है।भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा वर्ष 2022 से प्रायोगिक स्तर पर खुदरा क्षेत्र में ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) एक सीमित उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) के बीच जारी की गई थी। प्रायोगिक तौर पर जारी यह डिजिटल मुद्रा फिलहाल लोगों के बीच आपसी लेनदेन तथा लोगों और व्यापारियों के बीच के लेनदेन की सुविधा देती है जिसमें डिजिटल रुपये वाले वॉलेट का इस्तेमाल किया जाता है। अब रिजर्व बैंक ने प्रस्ताव रखा है कि इस मुद्रा की प्रोग्रामेबिलिटी को ऑफलाइन आजमाया जाए जिससे न केवल डिजिटल मुद्रा को अपनाने के मामले बढ़ेंगे बल्कि सार्वजनिक नीति संबंधी लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिलेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पैसा सही ढंग से खर्च हो। इससे धोखाधड़ी का जोखिम भी कम हो जाएगा। खासतौर पर भुगतान के क्षेत्र में, उसमें सीबीडीसी के इस्तेमाल की काफी संभावना है। डिजिटल मुद्रा में प्रोग्रामेबिलिटी संतुलन को नकद हस्तांतरण की ओर झुका देगी क्योंकि इससे एक तरह की निश्चितता आएगी कि मुद्रा का इस्तेमाल उसी उद्देश्य के लिए होगा जिसके लिए मुद्रा दी जा रही है।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि डिजिटल के विस्तार के साथ ही, धोखाधड़ी की आशंकाएं भी बढ़ी हैं। धोखाधड़ी में साइबर लुटेरे ही नहीं, बल्कि कई बड़ी संस्थाएं भी लगी हुई हैं। डिजिटल बैंकिंग क्षेत्र का पिछले पाँच वर्षों में बहुत विस्तार हुआ है, अनेक कंपनियां बैंकों की तरह व्यवहार या कारोबार करने लगी हैं, पर उन्हें पूरी तरह से जिम्मेदार बनाए रखने के इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं। वित्तीय वर्ष 2023 में बैंकिंग प्रणाली में कुल 13,530 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं। धोखाधड़ी के इन मामलों में से लगभग 49 प्रतिशत डिजिटल भुगतान-कार्ड या फिर इंटरनेट श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। अत: डिजिटल आधारित बैंकिंग की दुनिया में सौ फीसदी विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु रणनीतिक प्रयत्न जरूरी है । ऐसे में अब यह माना जा रहा है कि भारत के आम आदमी की डिजिटल सहभागिता बढ़ाने के लिए गाँवों व पिछड़े क्षेत्रों तक डिजिटल साक्षरता, स्टूडेंट्स के लिए स्कूलों-कॉलेजों में अच्छा डिजिटल कौशल, प्रशिक्षण, सस्ते स्मार्टफोन, इंटरनेट की निर्बाध कनेक्टिविटी और बिजली की सरल आपूर्ति जैसी जरूरी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाने से भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था तथा वर्ष 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा । ऐसे में सरकार नई शिक्षा प्रणाली के तहत भारत में डिजिटलीकरण को अधिक गतिशील बनाने के लिए नई पीढ़ी को नए दौर की डिजिटल स्किल्स और उन्नत प्रौद्योगिकियों से शिक्षित प्रशिक्षित करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। देश में सरकार के द्वारा और अधिक गुणवत्तापूर्ण डिजिटलीकरण बढ़ाने के लिए गाँवों तक डिजिटल साक्षरता, स्टूडेंट्स के लिए स्कूलों में अच्छा डिजिटल कौशल प्रशिक्षण, स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टीविटी, बिजली की सरल आपूर्ति, जैसी जरूरतों पर रणनीतिपूर्वक ध्यान दिया जा रहा है।

डिजिटल इकोनॉमी में करियर के लिए जरूरी स्किल्स

डिजिटल इकोनॉमी में करियर के लिए कुछ विशेष स्किल्स जरूरी है। इनमें अच्छी अंग्रेजी, कम्प्यूटर-आईटी दक्षता, कम्युनिकेशन स्किल्स, जनसंचार, वेब डिजाइन, वेब संबंधित सॉफ्टवेयर का अच्छा ज्ञान, विश्लेषणात्मक कौशल, बाजार अनुसंधान, ईमेल, यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिवटर, वेबसाइट्स, गूगल एड, सर्च रिजल्ट आदि के बारे में अच्छी जानकारी शामिल है। शहरों के ही नहीं गाँवों के युवा भी सरलता से लक्ष्य बनाकर डिजिटल इकोनॉमी में करियर के लिए जरूरी स्किल्स को सरलतापूर्वक प्राप्त कर सकते हैं।

ऐसे प्रवेश करें डिजिटल इकोनॉमी में करियर की डगर पर

यह बात महत्वपूर्ण है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में करियर बनाना कोई कठिन काम नहीं है। डिजिटल इकोनॉमी में अच्छा करियर बनाने के लिए इकोनॉमिक्स, मैनेजमेंट, कॉमर्स, मार्केटिंग, कम्प्यूटर एवं आईटी क्षेत्र की डिग्रियों लाभप्रद होती हैं। देश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों और कई निजी संस्थानों में डिजिटल इकोनॉमी के विभिन्न सेक्टरों से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स संचालित हैं। यदि आप डिजिटल इकोनॉमी में करियर बनाना चाहते हैं तो अपनी उपयुक्ततता के अनुसार डिजिटल इकोनॉमी से सम्बद्ध किसी कोर्स के लिए अच्छे संस्थान का चयन करके डिजिटल करियर की डगर पर आगे बढ सकते हैं और ऊँचाइय़ों पर पहुँच सकते है।